आज पूर्वोत्तर राज्यों की राजनीति में कई फेरबदल देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि वोटों की गिनती जारी है और बीजेपी ने पूर्वोत्तर राज्यों के जमीन पर अपनी जीत की बीज बो दिए हैं। ऐसे में सत्ता की इस कुरूक्षेत्र में कौन अच्छा रणनीतिकार है यह आज पता चल जाएगा। वैसे 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में भी जीत का पताका फहराया है। उसे देखते हुए उसके रणनीति पर वैसे भी कोई शक नहीं है। लेकिन अन्य राज्यों और पूर्वोत्तर राज्यों में काफी अंतर है। ऐसे में अगर 5 साल पहले पुर्वोत्तर में शून्य पर खड़ी भाजपा अगर 100 प्रतिशत पर आ जाए तो यह वाकई काफी दिलचस्प भी होगा और काफी हैरान कर देने वाला भी।

त्रिपुरा राज्य की बात करें तो बीजेपी की रणनीति काफी हद तक कामयाब दिख रही है। त्रिपुरा में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कई रैलियां की थी। इसकी वजह यह थी कि वहां भारी संख्या में नाथ संप्रदाय के लोग हैं। गोरक्षनाथ पीठ नाथ संप्रदाय से जुड़े लोगों का मुख्य पीठ है और योगी यहां के महंत हैं। पार्टी जानती थी कि इस चुनाव में प्रचार के लिए योगी का उतरना कितना फायदेमंद हो सकता है। ऐसे में अब चुनावी रूझान बीजेपी के पक्ष में आना मोदी सरकार की रणनीति की सफलता मानी जा रही है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने अगरतला में कई जनसभा किए थे। त्रिपुरा में लगभग 35 फीसद बंगाली नाथ समुदाय के लोग हैं.  गोरखपुर में गोरक्षनाथ मंदिर भी इसी समुदाय का है. केंद्र में नाथ संप्रदाय को ओबीसी श्रेणी में रखा गया है लेकिन त्रिपुरा में यह सामान्य श्रेणी में इनकी गिनती होती है. पार्टी ने इस चुनाव में ऐसे मुद्दों को भी जमकर भुनाया है।

बता दें कि अभी पूर्वोत्तर के दो राज्य त्रिपुरा और नागालैंड में बीजेपी जीत की दौड़ में सबसे आगे है। वहीं मेघालय में कांग्रेस को बहुमत मिलते दिख रहे हैं।

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