उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर तीन गुना कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

कैबिनेट के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ऊर्जा मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि सरकार की शिक्षामित्रों के प्रति पूरी सहानुभूति है। सरकार उनके हितों को लेकर हर कदम संवेदनशील है। श्रीकांत शर्मा ने बताया कि  कैबिनेट ने शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह नियत मानदेय देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो एक अगस्त से  लागू होगी। उन्होंने बताया इससे प्रदेश के 1,69,157 शिक्षामित्रों को लाभ पहुंचेगा। इससे पहले शिक्षामित्रों का मानदेय 3500 रुपये प्रतिमाह था।

Yogi sarkar's Gift to the shikshamitra, basic salary will be ten thousand

गौरतलब है कि अखिलेश सरकार ने वर्ष 2014 में स्नातक उत्तीर्ण और दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देते हुए प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर समायोजित करने का फैसला किया था। लेकिन हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के निर्णय को अनुचित ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया था। इसके बाद शिक्षामित्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए सड़को पर उतर आए थे। प्रदेश सरकार ने समस्या का हल निकालने के लिए एक कमेटी गठित की थी। कमेटी की सिफारिशें लागू होने से पहले मंगलवार को सरकार ने मानदेय बढ़ाने का फैसला लिया।

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार शिक्षक पद पर समायोजित किए गए शिक्षामित्रों को यह सुविधा देगी। शिक्षक पद पर समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने के लिए यूपी बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई। अब शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती में वेटेज देने के लिए भी नियमावली में संशोधन किया जाएगा।

प्राथमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने बताया कि शिक्षामित्रों को अभी तक 3500 रुपये मानदेय मिलता था, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया है। उन्होंने बताया कि यह मानदेय साल में 11 महीने के लिए मिलेगा।

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