Year Ender 2021: देशभर में Court ने साल 2021 में दिए कई अहम फैसले

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Court Decision 2021
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Year Ender 2021: कोर्ट (Court) के फैसलों को साल के अंत के साथ याद किया जा रहा है। पिछले एक साल में न्यायलों ने किन मुद्दों पर बड़ा फैसला दिया इस पर, यादों को समेटा जा रहा है। इसी कड़ी में हम भी बता रहे हैं कि पूरे साल में देश में क्या बड़े फैसले लिए गए थे।

  • सुप्रीम कोर्ट ने चेक डिसऑनर मामले में एक अहम फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर खाली चेक के पन्नों में हस्ताक्षर आरोपी के हैं, तो वह Negotiable Instruments Act के Section 139 के तहत कार्रवाई हो सकती है। जस्टिस रमन्ना, जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने ये भी कहा था कि सेक्शन 118 और सेक्शन 139 के अंतर्गत REVERSE ONUS क्लॉज लागू होगा। REVERSE ONUS का मतलब है कि आरोपी को अपना बचाव करना होगा और खुद को निर्दोष साबित करना होगा।
CJI N.V Ramanna
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  • सेंट्रल विस्टा परियोजना मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। शीर्ष न्यायालय ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को हरी झंडी दे दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सरकार नए संसद समेत अन्य निर्माण कार्य कर सकती है। पर्यावरण मंजूरी और अन्य अनुमतियों में कोई खामी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट 2:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था।
  • दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर के महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में फैसला सुनाते हुए प्रिया रमानी को बरी कर दिया था। एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में एक ओपन कोर्ट में यह फैसला सुनाया था। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि यौन उत्पीड़न आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को खत्म कर देता है। कोर्ट ने कहा था कि भले ही अकबर प्रतिष्ठा का व्यक्ति है, फिर भी व्यक्ति यौन उत्पीड़न करने वाला हो सकता है। महिलाओं को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है।
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  • सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न और शीर्ष अदालत के बेंचों के ‘फिक्सिंग’ जैसे मामलों में फंसाने की ‘बड़ी साजिश’ का स्वत: संज्ञान से शुरू की गई जांच को बंद करने का फैसला किया था। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि लगभग दो साल बीत चुके हैं और जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त करने की संभावना बहुत कम है। कोर्ट ने मामले को बंद करते हुए कहा था कि अंदरूनी जांच पहले ही हो चुकी है और वर्तमान सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल ने पहले ही पूर्व सीजेआई को दोष मुक्त करार दिया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में व्यवस्था दी थी कि हिन्दू महिला के पिता की ओर से आए लोगों को उसकी संपत्ति में उत्तराधिकारी माना जा सकता है। ऐसे परिजनों को परिवार से बाहर का व्यक्ति नहीं माना जा सकता, हिन्दू उत्तराधिकार कानून की धारा 15 (1) डी के दायरे में आएंगे और संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे।
Delhi high court,Covid Rules
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  • इशरत जहां एनकाउंटर केस में सीबीआई कोर्ट ने तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया था। अदालत ने तरुण बरोट और जीएल सिंघल समेत तीन पुलिस अफसरों को केस से बरी कर दिया था। इसके अलावा अन्य कुछ अधिकारियों को पहले ही कोर्ट से बरी किया जा चुका था। जून 2004 में गुजरात पुलिस पर इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा था।
  • उच्चतम न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम मामले में अपना फैसला सुनाया था। न्यायालय ने सरकार की लोन मोरेटोरियम पॉलिसी पर दखल देने से इनकार कर दिया था। साथ ही न्यायालय ने लोन मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने से भी इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती। कोर्ट ने किसी और वित्तीय राहत की मांग को भी खारिज कर दिया था।
Judge of Supreme Court Judge of Massacre: Check
  • तहलका पत्रिका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल को रेप मामले में बरी कर दिया गया है था। तरुण तेजपाल पर पिछले 8 साल से मामला चल रहा था। उनपर अपनी सहकर्मी के साथ लिफ्ट में यौन शोषण का आरोप लगा था। आरोप की गंभीरता को देखते हुए तेजपाल के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज करके उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया था और सात महीने जेल में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी।
  • मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। अदालत के फैसले के अनुसार, अब किसी भी नए व्यक्ति को मराठा आरक्षण के आधार पर कोई नौकरी या कॉलेज में सीट नहीं दी जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मराठा समुदाय को कोटा के लिए सामाजिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सकता है, यह 2018 महाराष्ट्र राज्य कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने कहा था कि हम 1992 के फैसले की फिर से समीक्षा नहीं करेंगे, जिसमें आरक्षण का कोटा 50 फीसदी पर रोक दिया गया था।
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Allahabad High Court
  • सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की मौखिक टिप्पणी की रिपोर्टिंग से मीडिया को प्रतिबंधित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा की गई याचिका को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने जोर दिया था कि अदालत की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई चर्चाओं और मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोका नहीं जा सकता है।
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर-पूर्व दिल्ली दंगे के एक मामले में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय की छात्राओं नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी थी। अदालत ने सभी को अपने-अपने पासपोर्ट जमा करने, गवाहों को प्रभावित न करने और सबूतों के साथ छेड़खानी न करने का निर्देश भी दिया था।

Court केंद्र सरकार से पूछा सवाल

  • सुप्रीम कोर्ट ने दो इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ भारत में सभी कार्यवाही को बंद करने पर सहमति दे दी थी पीड़ितों परिवारों के लिए 10 करोड़ रुपये का मुआवजा शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा कर दिया गया था। न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि मुआवजे की राशि को केरल उच्च न्यायालय को हस्तांतरित किया जाना चाहिए ताकि उसके वितरण की उचित निगरानी की जा सके।
  • मद्रास हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली 13 मीडिया संगठनों और एक पत्रकार की याचिका पर नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों को चुनौती दी गई थी। पीठ ने केंद्र की तरफ से कोई प्रतिकूल कार्रवाई करने पर याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी थी।
  • सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई द्वारा गठित 12 सदस्यीय समिति ने 30:30:40 फॉर्मूले की सिफारिश की थी। फॉर्मूले के अनुसार, कक्षा 10 और कक्षा 11 के अंतिम परिणामों को क्रमशः 30 प्रतिशत और कक्षा 12 की प्री-बोर्ड परीक्षाओं को 40 प्रतिशत वेटेज दिया जाएगा। प्रैक्टिकल 100 अंकों के होंगे और छात्रों को स्कूलों द्वारा जमा किए गए अंकों के आधार पर नंबर दिए जाएंगे।
  • राजद्रोह कानून को सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजों के जमाने का कॉलोनियल कानून बताते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि आजादी के 75 साल बाद भी देश में इस कानून की क्या जरूरत है। अदालत ने यह भी कहा था कि संस्थानों के संचालन के लिए ये कानून बहुत गंभीर खतरा है। बाद में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि राजद्रोह कानून को खत्म करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

Court ने राजनीति के अपराधीकरण पर लिय था सख्त Stand

  • रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दो टावरों को अवैध ठहराया था और दोनों 40 मंजिला टावरों को ढहाने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने कंपनी के फ्लैट खरीदारों को ब्याज के साथ पैसे वापस करने का आदेश दिया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण पर सख्त स्टैंड लिया था। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि संबंधित राज्य के हाईकोर्ट की अनुमति के बिना सांसदों और विधायकों के खिलाफ कोई मुकदमा वापस नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि विशेष न्यायालयों में सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के अगले आदेश तक अपने वर्तमान पदों पर बने रहें। यह निर्देश विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति या मृत्यु के अधीन होगा।
  • केरल की सत्ताधारी पार्टी सीपीएम के सदस्यों और पूर्व विधायकों पर साल 2015 में विधानसभा के अंदर हंगामे के वक्त फर्नीचर को नुकसान पहुंचाने के मामले में अब केस चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में राज्य के मौजूदा शिक्षा और श्रम मंत्री के खिलाफ केस चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राजनेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए यह कहा था कि विधायकों को मिले विशेषाधिकार आपराधिक कानूनों से बचने का रास्ता नहीं है और इस तरह के विशेषाधिकारों का दावा करने वाले विधायकों ने उन मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया है, जिन्होंने उन्हें विधायक बनाया था।
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में अस्थाना की नियुक्ति, अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति और सेवा विस्तार को रद्द करने की मांग की गई थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या NGT के पास एनजीटी अधिनियम 2010 के तहत पत्र याचिकाओं और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर मामलों का स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने उन याचिकाओं पर फैसला सुनाया था, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या एनजीटी के पास स्वत: संज्ञान अधिकार क्षेत्र है। हालांकि केंद्र का कहना था कि कानून में कहीं भी NGT को स्वतः संज्ञान लेने के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कथित पेगासस जासूसी मामले पर अहम फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पेगासस जासूसी केस की जांच तीन सदस्यीय कमेटी कमेटी करेगी। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा था कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को जांच करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है।
  • शक्ति मिल गैंगरेप केस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट अहम फैसला दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। जस्टिस साधना जाधव और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने तीन दोषियों विजय जाधव, मोहम्मद कासिम शेख और मोहम्मद अंसारी को राहत देते हुए मौत की सजा देने से इंकार कर दिया था। हालांकि अदालत ने कहा था कि इन दोषियों द्वारा किए गए अपराधों का पश्चाताप करने के लिए आजीवन कारावास की सजा जरूरी है।
  • बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट और POCSO एक्ट को लेकर अपने आदेश में साफ कर दिया था कि यौन उत्पीड़न के मामले में स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना भी पॉक्सो एक्ट लागू होता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण को छात्र के लिए एक सीट निर्धारित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि छात्र को सीट IIT बॉम्बे में आवंटित की जाए और इससे किसी अन्य छात्र के प्रवेश में बाधा न आए, अगर सीट खाली हो जाती है तो इस सीट का निर्माण नियमित रूप से प्रवेश के अधीन होगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें भीमा कोरेगांव केस में आरोपी सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई डिफ़ॉल्ट जमानत को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा था कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश में कहा कि कोर्ट को एनआईए अधिनियम की धारा 22 के तहत एक विशेष न्यायालय अधिसूचित नहीं किया गया था। अगर कोई विशेष अदालत है तो वह एकमात्र अदालत होगी जो इस पर सुनवाई कर सकती हैं।

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