देश में सत्ता पाने की राजनीति होती रहती है और इस राजनीति को भुनाने और आगे बढ़ाने के लिए धर्म, जाति, संप्रदाय और राष्ट्रवाद की राजनीति भी करनी पड़ती है। इसीलिए गांधी के बाद अंबेडकर औऱ अंबेडकर के बाद जिन्ना याद किए जा रहे हैं। इस समय मोहम्मद अली जिन्ना को खूब याद किया जा रहा है। चर्चाएं और विरोध प्रदर्शन इतना कि लोग अब जिन्ना के बारे में भी पढ़ने-लिखने लगे हैं। जिन्ना को चुनावी बिसात पर रखकर राजनैतिक पार्टियां अपना-अपना पाशा फेंक रही हैं। जिसका नम्बर आ जाए वो जीत जाएगा। बाकी जिन्ना जैसे थे, वैसे हैं और तैसे बने भी रहेंगे। लेकिन सत्ता का फेरबदल जरूर देखने को मिल सकता है।

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में लगी जिन्ना की तस्वीर को लेकर बवाल जारी है। पूरी यूनिवर्सिटी पुलिस छावनी में तब्दील है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बवाल को देखते हुए पांच दिन के अवकाश की घोषणा भी कर दी है। गांधी के देश में जिन्ना ने जिंदा रहते हुए भी हिंसा फैलाई थी औऱ आज गांधी के देश में ही जिन्ना मरने के बाद भी हिंसा फैला रहे हैं। जिन्ना के विरोध में जिन्ना को अपनाने की कोशिश जो हो रही है, हिंसा और आंदोलन करने वाले ये खुद भी जानते हैं लेकिन सत्ता के चादर ने उनके आंख में परदा डाला हुआ है। बता दें कि यह मुद्दा सियासत में भी सबसे बढ़ा बन गया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सटी के पूर्व छात्र और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इस मसले पर पूछे गए एक प्रश्न पर गुस्सा गए और उन्होंने कहा कि इस घटिया राजनीति में मुझे मत घसीटिए।

वहीं दूसरी तरफ नेताओं के विवादित बयान भी इस मसले पर आने शुरू हो गए हैं। इस विवाद में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान ने कहा है कि एक मुर्दा तस्वीर के बहाने जिंदा हिंदुस्तान को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। एक मुर्दा तस्वीर जिस में जान नहीं होती और उसको मरे हुए भी 70 बरस हो गए, उसकी तस्वीर पर पूरे मुल्क की सियासत की धुरी घूम रही है। वहीं गोरखपुर से समाजवादी पार्टी सांसद प्रवीन निषाद ने जिन्ना की तुलना महात्मा गांधी से की। उन्होंने कहा कि भारत को आजादी दिलाने में गांधी का जितना योगदान था उससे कम योगदान जिन्ना का नहीं था। इस मुद्दे पर जानबूझकर राजनीति की जा रही है जो कि अनावश्यक है। इसके अलावा मणिशंकर अय्यर ने जिन्ना की तारीफ करते हुए “कायद-ए-आजम” कहकर विवाद को हवा दे दी हो। वहीं हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्‍वामी चक्रपाणि महाराज ने भी विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्‍ना की तस्‍वीर लगाना देश के महापुरुषों और सेना का अपमान है। वहीं भाजपा के चर्चित विधायक सुरेंद्र सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने को ‘हिंदुत्व’ के कमजोर होने का नतीजा करार दिया है।

ये सब देखकर लगता है कि महात्मा गांधी लोगों के दिलों में जिंदा रहकर भी मर गए और जिन्ना लोगों के दिलों में मर कर भी जिंदा हो गए।

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