केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बाजार से कर्ज लेने का लक्ष्य बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया है.. खास बात ये है कि आम बजट में इसका लक्ष्य 7.8 लाख करोड़ रुपये रखा गया था.. मतलब साफ है कि इस साल सरकार 4.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेगी.. पिछले दिनों सरकार की ओर से कहा गया था.. कि कोरोना संकट के कारण कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाना जरूरी हो गया था.. पहली छमाही में 6 लाख करोड़ रुपये.. मार्केट गिल्ट यानी बॉन्ड के जरिए जुटाए जाएंगे.. इस पैसे को कोरोना से इकोनॉमी को बचाने पर खर्च किया जाएगा..

पैसों के इंतजाम के लिए सरकार दूसरे उपाय भी कर रही है.. मसलन, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने से सरकारी खजाने में 1.4 लाख करोड़ रुपये आएंगे.. कच्चे  तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है.. लिहाजा सरकार के लिए टैक्स  लगाना और आसान हो गया है.. इसका असर आम जनता पर तो नहीं पड़ेगा.. लेकिन, सरकार का खजाना जरूर भरेगा.. केंद्रीय बैंक भी संकट के इस दौर में केंद्र की मदद कर सकता है.. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से.. 45 हजार करोड़ की मदद मांगने की तैयारी की है.. इसके अलावा, RBI मोटे तौर पर करेंसी और सरकारी बॉन्ड की ट्रेडिंग से मुनाफा कमाता है.. इन कमाई का एक हिस्सा RBI अपने परिचालन और इमरजेंसी फंड के तौर पर रखता है.. इसके बाद बची हुई रकम डिविडेंड के तौर पर सरकार के पास जाती है..

हाल ही में जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा था.. कि सरकार 12 लाख करोड़ रुपये का उधार बाजार से ले रही है.. इससे राजकोषीय घाटा साढ़े पांच से 6 फीसदी तक जा सकता है.. जबकि इस साल के लिए सरकार ने इसके साढ़े तीन फीसदी रहने का अनुमान जताया है.. कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के साथ ही.. सरकार के लिए इस राजकोषीय घाटे को कम करना बड़ी चुनौती है..ब्यूरो रिपोर्ट..

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