Vohra Committee Report में ऐसा क्या है जिसे सार्वजनिक किए जाने की हो रही है मांग? ट्विटर पर चला #RevealVoraCommitteeReport ट्रेंड

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NN Vohra

बीजेपी विधायक अमीत साटम ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से “नार्को-आतंकवाद की साजिश” का पर्दाफाश करने के लिए वोहरा समिति की पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से अंडरवर्ल्ड से जुड़े राजनेताओं और अफसरों का पर्दाफाश करने में मदद मिलेगी।

अपराधियों और राजनेताओं की सांठ-गांठ की जांच के लिए वोहरा समिति गठित की गयी थी

मालूम हो कि 1993 की वोहरा समिति अपराधियों और राजनेताओं की सांठ-गांठ की व्यापक जांच के लिए गठित की गयी थी। करीब 27 साल पहले 1993 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार की ओर से गठित वोहरा समिति ने नेताओं, अपराधियों और नौकरशाहों के गठजोड़ की ओर सबका ध्यान दिलाते हुए इसका समाधान भी बताया था।

इस समिति की अध्यक्षता तत्कालीन गृह सचिव एनएन वोहरा ने की थी। समिति के सदस्यों में रॉ (RAW) और आईबी (IB) के सचिव, सीबीआई के निदेशक और गृह मंत्रालय के स्पेशल सेकेट्री (इंटरनल सिक्योरिटी एंड पुलिस) भी शामिल थे।

मुंबई बम धमाकों के बाद हुआ था गठन

वोहरा समिति का गठन उस वक्त किया गया था जब 1993 में मुंबई (बॉम्बे) बम धमाके हुए थे। खुफिया और जांच एजेंसियों ने दाऊद इब्राहिम गैंग की गतिविधियों और संबंधों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट दी थी। वोहरा समिति की रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है। 1997 में जब केंद्र सरकार पर रिपोर्ट सार्वजनिक करने का दबाव बढ़ा तो वह सुप्रीम कोर्ट चली गई। कोर्ट ने सरकार की दलील मानते हुए कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

वहीं, बीजेपी विधायक साटम के मुताबिक इस रिपोर्ट में 110 पेज थे जिसमें से 1995 में सिर्फ 11 पेज ही सार्वजनिक कि गए थे। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को मालूम होना चाहिए कि कौन से ऐसे नेता और अफसर हैं जो देश के लिए खतरा हैं। साथ ही अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वाले नेताओं और अफसरों का पर्दाफाश होना चाहिए।

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