ये है कुशीनगर का सपहा स्थित निर्माणाधीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र…ये चार एकड़ पट्टे की जमीन पर स्थापित होने की राह में है…इसकी जमीन का पट्टा 22 लोगों के नाम दर्ज है…साल 1990 में वर्तमान ग्राम प्रधान और सदस्यों ने पट्टे को निरस्त कर जमीन को अस्पताल बनाने के लिए प्रस्तावित जारी कर दिया…जिसके बाद यहां अस्पताल का निर्माण हुआ…लेकिन  सरकारी अभिलेखों में यह जमीन आज भी उन्हीं लोगों के नाम पर दर्ज है…ऐसे में जब भी अस्पताल में कोई निर्माण कार्य होता है तो इन 22 लोगों में से कोई शख्स कोर्ट से स्टे लाकर काम रुकवा देता है..

यही वजह है कि अस्पताल के निर्माण के लिए सरकार से फंड मिलने के बावजूद यहां कोई काम नहीं हो पाता…जबकि, इलाके की 25 हजार की आबादी इस अस्पताल से इलाज की दरकार हैं…ऐसे में जब निर्माणाधीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने मुख्य विकास अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें बंधक बना लिया…

ग्रामीणों की नाराजगी की वजह भी है…साल 2013- 2014 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सपहा के उच्चीकरण के  लिए सरकार ने 9 करोड़ रुपये दिए…पहली किस्त के रूप में 4 करोड़ रूपये कार्यदायी संस्था सीएनडीएस को दिये गए, ताकि मार्च 2017 में काम पूरा हो सके…लेकिन पट्टाधारको की अडंगेबाजी ने काम बीच में ही रोक दिया…क्षेत्रीय जनता की शिकायत पर काम करने वाली एजेंसी सीएनडीएस को बाकी के बचे 4 करोड़ 99 लाख रूपये दिए गए…

मार्च 2018 में काम पूरा करने का आदेश मिला…लेकिन, ठेकेदार की लापरवाही और पट्टेधारकों की मनमानी के चलते आज भी अस्पताल का काम अब तक अधूरा है…जाहिर है कि, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सपहा की जमीन सरकारी अभिलेखों में दर्ज हो गयी  होती  तो यह नौबत नहीं आती और लोगों को भी इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ता…

कुमार मयंक एपीएन

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