शादी का सेहरा पहनने से पहले ही विजय कुमार पाण्डेय शहीद हो गए। शहादत की खबर ने उनके परिजनों को तोड़ कर रख दिया है। विजय पांडेय को पांच जून को अपनी शादी के लिए घर जाना था। तिलक समारोह 15 जून को होना था और 20 जून को शादी थी। जिसके लिए पूरा परिवार तैयारियों में जुटा हुआ था। लेकिन, उसके पहले ही जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलाबारी का जवाब देते हुए बीएसएफ के जांबाज जवान एएसआई सत्य नारायण यादव और कॉन्स्टेबल बिजय कुमार पांडेय शहीद हो गए।

विजय की शहादत के बाद माता-पिता का रो रोकर बुरा हाल है। शहादत के बाद फतेहपुर जिले के चांदपुर थाना क्षेत्र के सठीगवां गांव में शोक की लहर है। बेटे की शहादत की खबर सुन उनकी मां बेहोश हो गईं। प्रशासनिक अधिकारियों और तमाम राजनेताओं ने शहीद जवान के घर पहुंचे। वहीं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और प्रदेश सरकार के कारागार मंत्री जयकुमार जैकी ने विजय कुमार के घर फोन करके परिवार को ढांढस बंधाया।

विजय की बीएसएफ में कांस्टेबल के पद में 2012 में पोस्टिंग हुई थी। लोगों की समस्याओं को सुलझाने वाले विजय के चले जाने से हर कोई गमगीन है। उनके पिता छोटे किसान हैं। परिवार में सिर्फ तीन बीघे खेत है। विजय की मदद से घर का पालन पोषण हो रहा था। अब न तो बेटा रहा न ही सुख दुख में बड़ा मददगार रहा भाई। अब क्या होगा इसकी चिंता शहीद जवान के भाई अजय पांडेय सहित पूरे परिवार को खाये जा रही है। अपने लाल को देश के लिए बलिदान करने वाले विजय पाण्डेय के परिजनों की मोदी सरकार से मांग है कि जिस तरह से पाकिस्तान देश के वीरों को मार रहा है उसी तरह भारत सरकार भारतीय जवानों को भी छूट दे।

विजय की शादी फतेहपुर की रहने वाली वंदना से होने वाली थी। जिसके लिए वह 5 जून को अपने घर भी आने वाले थे। उनकी छुट्टी भी मंजूर हो गई थी। लेकिन 2 जून की रात देश का फर्ज अदा करते हुए विजय कुमार सीमा पर शहीद हो गए। मिट्टी में समाने के पहले उन्होंने गांव में एक मंदिर भी बनवाया, जहां लोग अपने दुखों को दूर करने के लिए भगवान से प्रार्थनाएं करते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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