प्रख्यात साहित्यकार कवि और राजनीतिज्ञ बालकवि बैरागी का कल रविवार शाम उनके गृह नगर मध्य प्रदेश के  मनासा में निधन हो गया। 87 वर्ष के बालकवि बैरागी अपनी राजनीतिक यात्रा में मध्य प्रदेश विधानसभा के अलावा लोकसभा और राज्यसभा में भी रहे थे। साहित्य और कला के प्रेमी बालकवि बैरागी ने 25 से अधिक किताबें और 26 फिल्मों के लिए गीत भी लिखे थे। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें कवि प्रदीप सम्मान भी दिया था। उनका अंतिम संस्कार आज सोमवार को उनके गृह नगर मनासा में किया जाएगा। पूर्व मंत्री बालकवि बैरागी दो बार विधायक, एक बार सांसद और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले उन्होंने अध्यापन भी किया था।  10 फरवरी 1931 को जन्मे बैरागी ने राजनीति के अलावा साहित्य और कला के क्षेत्र में भी काफी प्रसिद्धि अर्जित की। 9 साल की उम्र में बालकवि बैरागी ने अपनी पहली रचना लिखी थी जिसके बाद उन्हें बालकवि के नाम से पुकारा जाने लगा था।

बालकवि बैरागी का सरल हृदय और हंसमुख व्यवहार आम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता था। बैरागी ने विक्रम विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए किया था। बालकवि बैरागी ने पहली बार 1967 में मध्य प्रदेश विधानसभा में अपना कदम नीमच से रखा। मध्य प्रदेश के श्यामाचरण शुक्ल के अलावा अर्जुन सिंह की सरकार में बालकवि बैरागी मंत्री भी रहे थे। इसके अलावा 1984 में उन्होंने नीमच से लोकसभा का प्रतिनिधत्व किया था। 1998 में कांग्रेस के द्वारा उन्हें राज्यसभा में मध्य प्रदेश से भेजा गया था। सरल स्वभाव के बालकवि बैरागी ने अपने व्यवहार और कार्यो की बदौलत राजनैतिक और साहित्य के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनायी। उनके निधन की खबर से साहित्य और राजनैतिक दोनों जगत में शोक की लहर है। राजनीतिक हस्तियां शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए लगातार उनके निवास पर पहुंच रही हैं।

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