भले ही यूपी में बीजेपी ने अभी तक पूर्ण रुप से सत्ता की कमान नहीं संभाली है, लेकिन नौकरशाहों का इम्तिहान शुरु हो गया है। राज्य के टॉप ब्यूरोक्रैट्स और पुलिस अधिकारियों को अहसास हो गया है कि 2019 से पहले तक का समय उनके लिए पहली बड़ी डेडलाइन है। लिहाजा वे अब परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गए हैं।pic

2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले अब अधिकारी बड़ी योजनाएं तैयार करें। जिसके बाद अधिकारी पहले की योजनाओं की समीक्षा करने और प्रदेश आ रहे केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग करने में व्यस्त हो गए हैं। हालांकि, नौकरशाहों के लिए सबसे बड़ा काम सपा और बसपा के 15 साल के राज में आए ढीलेपन के रवैये को बदलने का होगा।

office office 177पीएमओ के टॉप ऑफिशियल नृपेंद्र मिश्रा और कैबिनेट सेक्रटरी पी के सिन्हा, दोनों ही यूपी कैडर से हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि केंद्रीय स्तर पर प्रदेश के प्रशासन की ‘गहरी समझ’ वाले दो टॉप ऑफिसर हैं। अब ऑफिसर्स को अहसास हो गया है कि प्रदेश का ढांचा बदलने के लिए 5 साल का वक्त नहीं बल्कि 2 साल रह गए हैं। यानि अब अधिकारियों को भी यूपी में तेजी से विकास करने के मॉडल के लिए कमर कसनी होगी। इसके अलावा कानून व्यवस्था, 24 घंटे पेयजल आपूर्ति, बूचड़खानों को बंद कराना, कृषि कर्ज माफी और गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान तो अभी सबसे अहम कामों में से है।

बीजेपी का चुनावी घोषणापत्र यूपी के अधिकारियों की टेबल पर पहुंच गया है और अब चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने के लिए उसका अध्ययन किया जा रहा है। बीजेपी के नेताओं ने अपने घोषणापत्र को लोक कल्याण संकल्प पत्र का नाम दिया है। चौबीस पन्नों का पार्टी का मैनिफेस्टो अब कई सीनियर आईएएस अधिकारियों की मेज पर है। सभी को तीन महीने के लिए एजेंडा तैयार करने को कहा गया है।

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