भारत में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission – UGC) ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत (India) में कैंपस स्थापित करने को लेकर नियमों को तैयार कर (Setting up and Operation of Campuses of Foreign Higher Educational Institutions in India) Regulations, 2023) ड्राफ्ट जारी कर दिया है। UGC के अनुसार 18 जनवरी तक इस मसौदे को लेकर अगर किसी का कोई सुझाव हो तो वो UGC को भेज सकता है।
कब तक लागू हो सकते हैं UGC के नये नियम?
UGC के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा है कि एक बार मसौदे को लेकर आने वाले सुझाव के बाद जनवरी के आखिर तक नियमों को अंतिम रुप दे दिया जाएगा जिसके बाद से विदेशी यूनिवर्सिटी भारत में अपने कैंपस के लिए आवेदन दाखिल करना शुरू कर सकती हैं। जगदीश कुमार ने ड्रॉफ्ट रेगुलेशन को जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy – 2020) के प्रावधानों के तहत आयोग ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के अंतरराष्ट्रीयकरण (Internationalisation) की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें से यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने एवं परिचालन करने) संबंधी नियम 2023 भी एक हैं।
क्या कुछ बदलेगा?
नई नीति के तहत विदेशी और भारतीय संस्थानों के बीच जॉइंट डिग्री कार्यक्रम, दोहरी डिग्री प्रोग्राम (Dual Degree Program) को लेकर बातचीत चल रही है जिसको इन नियमों के आने के बाद मुहूर्त रूप दिया जा सकेगा और एमओयू साइन किए जा सकेंगे। इससे जो सबसे बड़ा फायदा होगा वो ये है कि अब भारतीय छात्र अपने देश में ही कम खर्चे में विदेशी यूनिवर्सिटी की डिग्री पा सकेंगे। इसके साथ-साथ भारतीय और विदेशी यूनिवर्सिटी मिलकर भी डिग्री दे सकती है। जिससे छात्रों के पास उच्च शिक्षा के ढ़ेरों अवसर उपलब्ध रहेंगे।
ओर क्या खास होगा UGC के नये नियमों में?
UGC के अनुसार, नये नियमों में विदेशी विश्वविद्यालयों को दस साल के लिए कैंपस स्थापित करने की मंजूरी मिलेगी जिसमें केवल ऑफलाइन पढ़ाई होगी और ऑनलाइन कोर्स चलाने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही ग्लोबल रैंकिंग में टॉप 500 में जगह बनाने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, यूनिवर्सिटी को मंजूरी मिलने के दो साल के भीतर ही कैंपस स्थापित करना होगा।
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दाखिला प्रक्रिया, फैक्लटी और फीस तय करने की होगी छुट
भारत में कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी को दाखिला प्रक्रिया और फीस (Admission Process and Fees) तय करने की छूट होगी। इसके अलावा भारत में शुरू होने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी के कैंपस में विदेशी छात्र भी पढ़ सकेंगे। वहीं, इन विश्वविद्यालयों को भारत और विदेश से अध्यापकों की नियुक्ति करने का अधिकार होगा लेकिन योग्यता मूल देश में स्थापित कैंपस से कम नहीं होनी चाहिए।
UGC के 7 पेज के नियमों के ड्राफ्ट में और क्या?
नियमों में कहा गया है कि इससे ग्लोबल लेवल पर टॉप 500 रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटी भारत आएंगी जिनको शुरुआत में 10 साल के लिए मंजूरी मिलेगी। प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि यूजीसी द्वारा तय किए गए नियमों के आधार पर ही मंजूरी मिल सकेगी। उन्होंने आगे कहा कि शुरुआत में 10 साल के लिए कैंपस स्थापित करने की मंजूरी दी जाएगी और जिसको बाद में बढ़ाया जा सकेगा। इन नये नियमों के तहत अब फरवरी से विदेशी यूनिवर्सिटी अपना कैंपस स्थापित कर सकेंगी।
भारत में कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी को दाखिला प्रक्रिया और फीस (Admission Process and Fees) तय करने की छूट होगी, लेकिन, यूजीसी के अध्यक्ष का कहना है कि फीस ढ़ांचा पारदर्शी और तर्कसंगत होना चाहिए। इसके साथ ही विदेशी यूनिवर्सिटीज को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय कैंपस में पदी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर (Main Campus) में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही हो। वहीं, दाखिला प्रक्रिया के शुरू होने से कम से कम 60 दिन पहले इन यूनिवर्सिटी को दाखिले को लेकर मानदंड, फीस स्ट्रक्चर, फीस वापसी की नीति, सीटों की संख्या, योग्यता की जानकारी विवरण-पुस्तिका (Prospectus) के जरिए वेबसाइट पर उपलब्ध करानी होगी।
यूजीसी नियमों की जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा जिक्र किया जा रहा है वो है कि भारत में अपना कैंपस स्थापित करने वाली विदेशी यूनिवर्सिटी ऑनलाइन माध्यम से कोई भी कोर्स नहीं चला सकेंगे। इन कैंपस में ऑफलाइन माध्यम में ही पढ़ाई होगी और छात्र कैंपस में आएंगे। इसके अलावा विदेश से मिलने वाले धन का आदान-प्रदान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act, 1999 (FEMA) के तहत होगा।
UGC ने इन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों की शिकायतों को लेकर कहा है कि विदेशी संस्थान को यूजीसी को हर साल सालाना रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें कोर्स को लेकर पूरी जानकारी, छात्रों की संख्या, पास आउट प्रतिशत की जानकारी समेत अन्य तमाम जानकारी होंगी। इस रिपोर्ट को वेबसाइट पर भी जारी करना होगा। इसके साथ ही कोई भी विदेशी संस्थान बगैर UGC की मंजूरी के कोई भी कोर्स बंद नहीं कर सकता। यदि, किसी भी कोर्स को बंद किया जाता है तो उससे प्रभावित होने वाले छात्रों के लिए वैकल्पिक इंतजाम (Alternative Arrangement) करना होगा। हर कैंपस में छात्रों की शिकायतों के लिए सुनवाई की व्यवस्था करनी होगी लेकिन अगर किसी छात्र को लगता है कि उसकी कैंपस में सुनवाई नहीं हो रही तो वह यूजीसी में अर्जी लगा सकता है।
क्या होगी मंजूरी को लेकर प्रक्रिया?
भारत में विदेशी संस्थान को कैंपस खोलने के लिए यूजीसी के पास अपना आवेदन करना होगा। यूजीसी की स्टैंडिंग कमेटी हर मामले को देखेगी और इसके बाद अपनी सिफारिश देगी। जिस दिन कोई भी संस्थान अपना आवेदन करेगा, उसके बाद 45 दिनों के भीतर स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिश यूजीसी के सामने रखी जाएगी जिसके बाद यूजीसी आवेदन लेकर फैसला लेगी। वहीं, जिस दिन भी किसी विश्वविद्याल को मंजूरी मिल जाएगी उसके दो साल के अंदर भारत में अपना कैंपस शुरू करना होगा।