भारत औऱ चीन के बीच हाल के दिनों में लद्दाख के गलवान घाटी के मसले पर तनाव अपने चरम पर है। भारत औऱ चीन इस आपसी तनाव को कम करने के लिए सैन्य स्तर की वार्ता जारी रखे हुए हैं। लेकिन कूटनीतिक तौर पर आपसी वार्ता का आधार तैयार किया दोनों देशों के कॉमन दोस्त रुस ने। रुस की पहल पर तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई । इसमें भारत औऱ चीन ने अपने अपने विचारों से एक दूसरे से अवगत कराया।

बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डॉक्‍टर कोटनिस की याद दिलाकर चीन को संदेश देने की कोशिश की। उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टर कोटनिस उन पांच भारतीय डॉक्‍टरों में शामिल थे जो दूसरे चीन-जापान युद्ध के दौरान वर्ष 1938 में चिकित्‍सा सहायता देने के लिए गए थे। उन्‍होंने कहा कि दुनिया की प्रमुख शक्तियों को हर तरीके से दूसरे के लिए उदाहरण बनना चाहिए और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों का सम्‍मान करना चाहिए। साथ ही सहयोगी देशों के वैध हितों को मान्‍यता देनी चाहिए। लंबे समय तक चलने वाली वैश्विक व्‍यवस्‍था को बनाने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों का सम्‍मान और सहयोगी देशों के वैध हितों को मान्‍यता, सभी पक्षों को समर्थन और साझा हितों को बढ़ावा देना ही एकमात्र रास्‍ता है।’

ऐसे में रूसी विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि स्थिति आगे शांतिपूर्ण बनी रहेगी और भारत और चीन विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे।’ उन्‍होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता हूं कि भारत और चीन को किसी बाहरी की जरूरत है। मैं यह भी नहीं समझता हूं कि उन्‍हें मदद किए जाने की जरूरत है, खासतौर पर तब जब देशों का मामला हो। वे खुद से इसका समाधान कर सकते हैं। इसका मतलब हालिया घटनाओं से है।’ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवारोव ने कहा है कि भारत और चीन को किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं और दोनों देश अपने विवाद को खुद ही सुलझा लेंगे। उन्‍होंने आशा जताई कि स्थिति शांतिपूर्ण रहेगी और दोनों ही देश विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

माना जा रहा है कि जयशंकर ने कोटनिस की याद दिलाकर चीन को यह अहसास कराने की कोशिश की कि भारत हर संकट में चीन के साथ खड़ा रहा है और उसे भारत के वैध हितों को मान्‍यता देनी चाहिए। विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर है। उधर, दोनों देशों के सैन्‍य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और चीन बातचीत और सलाह के जरिए तनाव को कम करने पर सहमत हुए हैं।

युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। विनाश से हर सूरत में विकास अच्छा ही होता है। ऐसे में दो पड़ोंसी देशों के लिए जो हमेशा से विकास को तरजीह देते रहे हैं, युद्ध कोई विकल्प नहीं।

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