अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर कॉर्बेट नेशनल पार्क से एक अच्छी खबर आई है। दुनिया में जहां बाघों की घटती संख्या पर पर्यावरण प्रेमी चिंता जता रहे हैं। कॉर्बेट रिजर्व इसका अपवाद बना हुआ है। यहां साल दर साल बाघों की संख्या बढ़ रही है। इससे पर्यावरण प्रेमी खुश नजर आ रहे हैं।

उत्तराखंड के रामनगर जिले में स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क को एशिया का पहला नेशनल पार्क होने का गौरव प्राप्त है। देश में 1 अप्रैल 1973 से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई थी। उसी समय काँर्बेट को देश का पहला टाइगर रिजर्व होने का गौरव मिला। काँर्बेट टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 215 बाघ मौजूद हैं, जो किसी भी टाइगर रिजर्व से ज्यादा है। जबकि प्रदेश में बाघों की संख्या 340 है, जो देश में दूसरे स्थान पर है।

एक नजरडालते हैं काँर्बेट में साल दर साल बढ रहे बाघों के आंकडों पर। साल 2001 में बाघों की संख्या 137 थी, जो 2003 आते-आते बढ़कर 143 हो गई। 2006 में बाघों की संख्या में मामूली गिरावट दर्ज की गई और ये संख्या 143 से घटकर 141 पर आ गई। लेकिन साल 2010 में बाघों की संख्या 164 हो गई। यानी चार साल में 23 बाघ बढ़े। टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा 2010 से 2014 के बीच देखने को मिला। 2014 में बाघों की संख्या दो सौ के आंकड़े को पार करते हुए 2015 पहुंच गई। बाघों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण प्रेमी से लेकर पार्क के अधिकारी और कर्मचारी सभी खुश हैं।

टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने से एक तरफ जहां प्रकृति प्रेमी खुश हैं। वहीं पार्क की सुरक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता से आहत भी हैं। बाघों की सुरक्षा और सुदृढ करने के लिए 2009 में एनटीसीए ने एक स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित करने की मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक उसका गठन नहीं हुआ। यही नहीं यहां फ्रंट लाइन स्टाफ में 50 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। ऐसे में बाघों के शिकार की आशंका हमेशा बनी रहती है।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर कॉर्बेट नेशनल पार्क से मिली ये जानकारी दिल को सुकून तो देती है। पर सुरक्षा इंतजामों के प्रति सरकारी के रवैये से तकलीफ भी होती है। यहां भी हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। पर सबसे अच्छा होता कि बाघ दिवस मनाने की रस्मअदायगी की जगह सरकार बाघों की सुरक्षा पुख्ता करने के प्रति गंभीर होती। आपको बता दें कि  2010 में रुस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघों की संख्या बढाने के लिए आयोजित सम्मेलन में प्रतिवर्ष 29 जुलाई को ग्लोबल टाइगर डे मनाने का निर्णय लिया गया था।

                                                                                                                   एपीएन ब्यूरो

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