2019 लोकसभा चुनाव को नजदीक आते देख तकरीबन रोज नए राजनीतिक समीकरण सामने आ रहे है एक बड़े राजनीतिक तबके की घोषित चीर प्रतिद्वंदी पार्टी बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक लामबंदी की नई-नई समीकरणे सामने आ रही है औऱ जनता के वोटो की बिसात पर खेले जाने वाले इस लोकतांत्रिक मल्ल युद्ध के लिए कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिशें भी तेज होती दिख रही है। कांग्रेस बेशक बीजेपी के बाद सबसे बड़ी पार्टी है औऱ विपक्ष में इतने बडे नेशनल कॉडर के साथ इकलौती भी और इसीलिए कांग्रेस गठबंधन में खुद को केंद्रीय भूमिका में रखना चाह रही है लेकिन कुछ क्षेत्रीय दल अब भी कांग्रेस की अगुआई स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं।

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर 2019 में बीजेपी को हराना है तो राहुल गांधी को सामने आकर कमान थामनी होगी।  बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस को विपक्षी एकता की रीढ़ बनने की वकालत करते हुए उमर अबदुल्ला ने कहा कि इस केंद्रीय गठबंधन के साथ-साथ क्षेत्रीय नेताओं को भी अपने-अपने राज्य में पकड़ मजबूत करनी होगी।

काफी हद तक अपना राजनीतिक नियंत्रण खो चुकी कांग्रेस को विपक्ष की धुरी हुए उमर अबदुल्ला ने कहा कि अंत में हमें 272 सीटें लानी होंगी औऱ क्षेत्रीय पार्टियां यह नहीं कर सकती हैं अगर केंद्र में गैर-बीजेपी सरकार बनानी है तो कांग्रेस को अकेले कम से कम 100 सीटें लानी ही होंगी। समीकरण ये भी साफ है कि बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में लालू यादव, यूपी में अखिलेश यादव और मायावती और तमिलनाडु में करुणानिधि और एमके स्टालिन बीजेपी को सीधी औऱ तीखी चुनाती देंगे औऱ संभावित गठबंधन के मुलाबिक अपनी देशव्यापी उपस्थिति के साथ कांग्रेस इनका सहयोग करेगी और मिलकर लड़ाई को मजबूत करेगी।’

उमर अब्दुल्ला विपक्ष के एक और बड़े चेहरे ममता बनर्जी से भी इस बारे में मुलाकात कर चुके है लेकिन जो समीकरण बनती दिख रही है उनसे लग रहा है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट तो हो रहा है लेकिन कई क्षेत्रीय पार्टियां चाहती हैं कि वे गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी धड़े का निर्माण करें बजाय इसके कि कांग्रेस की अगुवाई में केंद्रीय स्तर पर गठबंधन हो।

चुनाव को लेकर वक्त बेहद कम बचा है और जिस रफ्तार से बीजेपी मिशन 2019 को लेकर एक्टिव हो वो रफ्तार ही विपक्ष के माथे पर शिकन डालने के लिए काफी है तो इस वक्त में सधे और कसे हुए कदमो के साथ विपक्ष को आगे बढ़ना होगा, अपनी रणनीति औऱ राजनीति की एक झलक आवाम के सामने रखनी होगी ताकि ग्राउड लेवल पर कार्यकर्ता एक दूसरे के साथ सामंजस्य बना सके। क्योंकि ये गठबंधन औऱ इसकी सफलता सिर्फ सरकार का निर्धारण ही नहीं करेगी बल्कि विपक्ष में अपनी मजबूती की तालव ठोक रहगी कांग्रेस के नए नवेले राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगी।

                                                                                                             ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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