24 अगस्त 2022 को, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (MINISTRY OF CHEMICALS & FERTILIZERS) ने देश की सभी उर्वरक उत्पादक कंपनियों को एक कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum) के माध्यम से निर्देशित करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर 2022 से पूरे देश में ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ नीति (One Nation One Fertilizer Policy) के तहत सिर्फ एकल ब्रांड नाम के साथ उर्वरकों को बेचा जा सकेगा.
कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ (PMBJP) नामक उर्वरक सब्सिडी योजना के माध्यम से देशभर में ‘उर्वरक और लोगो के लिए एकल ब्रांड’ पेश करके ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ (One Nation One Fertilizer) को लागू करने का निर्णय लिया गया है.
जारी आदेश के मुताबिक, ‘यूरिया, डीएपी, एमओपी और एनपीके आदि के लिए एकल ब्रांड नाम क्रमशः भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके होगा. उर्वरक उत्पादक कंपनियों को दिये गए आदेश में कहा गया है कि 15 सितंबर 2022 तक पुराने बोरियों (Bags) खरीदना बंद कर दिया और 2 अक्तूबर 2022 (महात्मा गांधी जयंती) तक एकल ब्रांड वाले बैग के साथ बाजार में उपलब्ध कराया जाए.
आदेश के अनुसार सभी उर्वरक कंपनियों, राज्य व्यापार संस्थाओं (State Trading Entities) और उर्वरक विपणन संस्थाएं (Fertilizer Marketing Entities) को उर्वरक बोरियों पर उर्वरक सब्सिडी योजना यानी प्रधानमंत्री भारतीय जनउर्वरक परियोजना को दर्शाने वाला एक समान लोगो का उपयोग किया जाना चाहिए.
भारत अपनी उर्वरकों की जरूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है.
नीति के तहत, उर्वरक कंपनियों को उर्वरक के बैग के दो-तिहाई स्थान पर ‘भारत’ ब्रांड और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का प्रतीक चिन्ह (Logo) दिखाना होगा. वहीं एक तिहाई स्थान पर अपना संबधित कंपनी अपना नाम, ब्रांड, प्रतीक चिन्ह और अन्य प्रासंगिक जानकारी (नियम और विनियम संबधित) प्रदर्शित करने की अनुमति होगी.
सरकारी दलील
अभी कंपनियों द्वारा विपणन किए जा रहे सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों के लिए एकल ‘भारत‘ ब्रांड पेश करने के लिए सरकार कई प्रकार के तर्क दे रही है-
केंद्र सरकार का कहना है कि यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (Maximum Retail Price) वर्तमान में सरकार द्वारा ही तय किया जाता है, इसके अलावा केंद्र सरकार उर्वरक उत्पादक कंपनियों को उनके द्वारा किए गए उत्पादन या आयात की उच्च लागत के लिए क्षतिपूर्ति की भी भरपाई करती है.
सरकार के अनुसार गैर-यूरिया उर्वरकों का अधिकतम खुदरा मूल्य को कागजी तौर पर (Officially) नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है. लेकिन, अगर उत्पादक कंपनियां सरकार द्वारा अनौपचारिक रूप से तय किये गए अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक पर बिक्री करती है तो वे सब्सिडी का लाभ नहीं ले सकती हैं. मौजूदा समय में सरकार 26 उर्वरकों (यूरिया सहित) पर सब्सिडी देती है, और प्रभावी रूप से उनका खुदरा मूल्य भी तय करती है.
उर्वरक (आंदोलन) नियंत्रण आदेश, 1973, के तहत केंद्र सरकार उर्वरक उत्पादक कंपनियां किस कीमत पर उर्वरक बेच सकती हैं इसके अलावा सब्सिडी देने और यहां तक तय करती है कि वे कहां बेच सकती हैं. 1973 के आदेश के तहत ही उर्वरक विभाग निर्माताओं और आयातकों के साथ परामर्श कर सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति के लिए एक मासिक आपूर्ति योजना तैयार करता है. आपूर्ति के लिए योजना को आने वाले महीने के लिए प्रत्येक महीने की 25 तारीख (जैसे सितंबर महीने के लिए 25 अगस्त तक योजना तैयार हो जानी चाहिए) से पहले जारी/तैयार किया जाता है. इसके साथ ही उर्वरक विभाग देश में आवश्यकता के अनुसार उर्वरक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आवाजाही की निगरानी भी करता है.
सरकार का कहना है कि जब सरकार उर्वरक सब्सिडी (जिसकी 2022-23 में 2,50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है) पर भारी मात्रा में पैसा खर्च कर रही है, इसके साथ सरकार ही यह तय कर रही है कि कंपनियां कहां और किस कीमत पर बेच सकती हैं, तो इसका श्रेय भी स्पष्ट रूप से सरकार को मिलना चाहिए और इसके साथ ही सरकार किसानों को संदेश भी भेजना चाहती है.
जोखिम एवं आशंकाएं
एक राष्ट्र एक उर्वरक नीति में कमियां, जोखिम और आशंकाएं-
नई उर्वरक नीति उर्वरक कंपनियों को विपणन और ब्रांड प्रचार गतिविधियों में हिस्सा लेने से हतोत्साहित करेगा. आखिरकार किसी भी कंपनी की ताकत दशकों से बनाया गया उसका ब्रांड और किसानों का भरोसा ही है.
उर्वरक उत्पादक कंपनियों को अब सरकार के लिए अनुबंध निर्माताओं और आयातकों तक ही सीमित कर दिया जाएगा.
मौजूदा समय में उर्वरकों के किसी भी बोरी या खेप के लिए तय किए गए मानकों को पूरा नहीं करने की स्थिति में, कंपनी दोषी होती है. लेकिन अब, यह पूरी तरह से सरकार को सौंपा जा सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, राजनीतिक रूप से, यह योजना सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने के काम आ सकती है.
उर्वरकों से संबधिंत अन्य पहल-
नीम कोटेड यूरिया (Neem Coated Urea- NCU)
उर्वरक विभाग (Department of Fertilizer) ने सभी घरेलू उत्पादकों के लिये 100 फीसदी यूरिया का उत्पादन ‘नीम कोटेड यूरिया’ के रूप में करना अनिवार्य कर दिया है। ताकि मिट्टी की सेहत में सुधार हो, पौधों की सुरक्षा में होना वाले रसायनों का प्रयोग कम हो सके.
नई यूरिया नीति 2015
नई यूरिया नीति 2015 का उद्देश्य देश में स्वदेशी यूरिया उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ यूरिया इकाइयों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना और भारत सरकार पर सब्सिडी के भार को युक्तिसंगत बनाना है.
लिक्विड नैनो यूरिया
मई 2022 में प्रधानमंत्री ने गुजरात के कलोल में पहले लिक्विड नैनो यूरिया (LNU) संयंत्र का उद्घाटन किया.
यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है एवं पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है.
लिक्विड नैनो यूरिया, स्वदेशी यूरिया है, जिसे भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) द्वारा किसानों के लिये तैयार किया गया है.
लिक्विड नैनो यूरिया नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है जो अभी तक प्रयोग किये जा रहे यूरिया के विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्व (तरल) है.
नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया की जरूरत को न्यूनतम 50 फीसदी तक कम कर सकता है.
नैनो यूरिया के सामान्य यूरिया से सस्ता व अधिक प्रभावी होने से किसानों को कम खर्च करना पड़ता है और मुनाफा भी अधिक होता है.
इफको के अनुसार नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्त्व प्रदान करेगा.
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (Indian Farmers Fertiliser Cooperative)
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेडभारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है.
वर्ष 1967 में 57 सहकारी समितियों के साथ स्थापित इफको, वर्तमान में 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियों का एक समूह है, जिसमें उर्वरकों के निर्माण और बिक्री संबंधी मुख्य व्यवसाय के अतिरिक्त सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक अनकों व्यावसायिक हित निहित हैं.
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