वाराणसी जिला जेल में बंद 1850 कैदियों और कार्यरत कर्मचारियों के साथ ही आने-जाने वाले लोगों की सुरक्षा दांव पर है। इतना बड़ा जिला कारागार फायर सेफ्टी के तय मानकों का उल्लंघन कर रहा है। जेल के पास फायर सेफ्टी एनओसी भी नहीं है। फायर ऑफिसर के जेल के सामान्य निरीक्षण के दौरान पाया कि जेल में मात्र प्राथमिक फायर उपकरण स्थापित हैं। वाराणसी जिला जेल में बनारस और चंदौली दोनों ही जिलों के कैदी हैं। 747 कैदियों की क्षमता वाले जेल में दोगुने से ज्यादा 1850 कैदी बंद हैं। चीफ फायर ऑफिसर राकेश राय ने जेल प्रशासन को अग्निशमन सुरक्षा उपकरणों को लगवाने के लिए लिखित आदेश भी दिए हैं। लेकिन जेल प्रसाशन ने इसका जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा।

यही हाल वाराणसी के मानसिक अस्पताल का है। जहां आग लगने पर बचाव के समुचित साधन नहीं हैं, इससे यहां भर्ती करीब 300 मरीज, उनके अटेंडेंट, डॉक्टर और कर्मचारियों के जीवन खतरे में है। वाराणसी अग्निशमन विभाग ने मानसिक अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों को हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में उनकी जिमेदारी याद दिलाई लेकिन कुछ नहीं हुआ।

इस मामले में वाराणसी जिला जेल के अधिकारियों के साथ ही मानसिक अस्पताल के अधिकारी कैमेरे पर बोलने से साफ इनकार कर दिया। लेकिन जिला अग्निशमन विभाग के पत्रों ने लापरवाह जिला जेल प्रशासन और मानसिक चिकित्सालय दोनों को बेनकाब कर दिया है।

—ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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