चुनाव के बाद सियासी पार्टियों को शायद ही जनता की याद रहती हो।   क्योंकि अपना काम निकल जाने के बाद  कोई भी उस गली में नहीं जाता है जहां उसने लोगों से दो चार होना पड़े।  इन सबके बीच बेचारी जनता बस इंतजार ही करते रह जाती है कि कोई मसीहा आये और उनकी तकलीफों को दूर करें। गुजरात में तीन दशक से ज्यादा बीजेपी सत्ता में है। चुनाव से पहले बीजेपी ने चुनावी अभियानों के तहत गुजरात में विकास के लिए कई वादे किए जिसका जादू  कुछ वक्त तक लोगों की जुबान पर चढ़कर बोलता रहा। मसलन, विकास । लेकिन विकास के नाम पर यहां के लोगों के साथ जो मजाक हुआ है उसकी तस्वीर गुजरात के खेड़ा जिले में देखने को मिली ।

जी हां गुजरात को वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल के तौर जाना जाता है।  लेकिन गुजरात के खेड़ा जिले में नाएका और भेराई गांव को जोड़ने वाला छोटा ब्रिज करीब दो महीने से टूटा हुआ है। इलाके के बच्चों के स्कूल जाने के लिए दूसरा कोई नजदीकी रास्ता नहीं है।  इसीलिए बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पिछले दो महीने से 9 फीट ऊंचे नाले पर चढ़कर जा रहे हैं।  बच्चों में पढ़ने की ललक शायद सरकार-और प्रशासन को नहीं दिखती।  तभी तो हर रोज ये बच्चे ऐसे ही स्कूल तक पहुंचते हैं और फिर स्कूल से घर लौटते हैं।  ना सिर्फ बच्चे बल्कि लोगों को भी इस गांव से बाहर जाने के लिए बीच में बनी केनाल को इसी तरह पार कर जाना पड़ रहा है।  प्रशासन में कई बार गांववालों के जरिए दोबारा पुल बनाने के लिए अर्जी दी गई।  लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण नए पुल के निर्माण में देरी के चलते स्कूल के छात्र और ग्रामीणों को अपनी जान पर खेलकर नाले पर चढ़कर उसे पार करना पड़ रहा है।  बता दें कि नाएका ओर भेराई गांव के बीच यही एक मार्ग था।   पुल टूट जाने की वजह से अब भेराई से नायका जाने वाले लोगों को 10 किलोमीटर लंबा चक्कर काट कर जाना पड़ रहा है।  छात्र और ग्रामीण किसान 10 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाने की बजाय अपनी जान पर खेलकर 9 फीट ऊंचे नाले पर चढ़कर दूसरी तरफ जा रहे हैं।  प्रशासन का कहना है कि इस पुल को बनाने की अनुमति मिल चुकी है। लेकिन केनाल में पानी बंद न होने की वजह से नये पुल का निर्माण शुरू नहीं हो पाया।

अब जाहिर है जब मामला सामने आएगा तो अधिकारी अपना बचाव करेंगे ही लेकिन सवाल ये कि क्या सरकार को सिर्फ चुनाव के समय ही जनता की याद आती है।   क्या जिस जनता जनार्दन का सामने वो वोट मांगने जाते हैं उनके लिए उनका कोई कर्तव्य नहीं है।

हम तो यही गुजारिश करेंगे कि जो नौनिहाल अपनी जान को खतरे में डालकर अपना भविष्य बनाने जा रहे हैं, कम से कम उन्हें एक  ही रास्ता तो जरुर मिलना चाहिए ताकि एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सके।

—एपीएन ब्यूरो

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