श्रीलंका में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी लोग प्रभावित हुए हैं। 1970 के बाद से श्रीलंका में ऐसी बर्बादी पहली बार देखने को मिली है। श्रीलंका में आई इस भारी आपदा के कारण 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, वहीं 100 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। इस तबाही के कारण सैकड़ो मकान नष्ट हो गए हैं और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है।

श्रीलंका में आई इस बर्बादी के चलते लगभग 7 जिलों के 20 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा। वहीं मौसम विभाग का कहना है कि, मानसून की उम्मीद तो सभी को थी लेकिन जितनी बारिश दर्ज हुई है उसकी शायद ही किसी को उम्मीद होगी। कुछ इलाकों में 600 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई, वहीं बुरी तरह से प्रभावित अन्य इलाकों में 300 से 500 मिमी बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने यह भी कहा कि मानसून चरम पार कर गया है, जबकि और भी अधिक बारिश होने की संभावना है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका में हुई बर्बादी पर दुख जताया, साथ ही पीएम मोदी ने वहां के लोगों की हर संभव तरीके से मदद करने की बात कही है।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन से हुए जान-माल की हानि पर शोक प्रकट करता हूँ। हम श्रीलंकाई भाइयों और बहनों के साथ हैं। हमारे जहाज राहत सामग्रियों के साथ भेजे जा रहे हैं। राहत सामग्रियों से भरा पहला जहाज शनिवार और दूसरा रविवार को कोलंबो पहुंचेगा।

भारत की तरफ से श्रीलंका की हर संभव सहायता की जा रही है। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण हिस्से में तैनात आईएनएस किर्च को कोलंबो की ओर रवाना कर दिया गया है। साथ ही आपदाग्रस्त लोगों के लिए कपड़े, दवाई पानी और बाकी जरूरी सामान के साथ आईएनएस जलाश्व विशाखापत्नम से रवाना हो गया है। जहाजों में राहत सामग्री के अलावा मेडिकल टीमें और हेलिकॉप्टर भी कोलंबो भेजे जा रहे हैं। बाढ़ में फंसे लोगों को श्रीलंकाई वायु सेना और नौसेना द्वारा हेलीकॉप्टरों और नौकाओं के सहारे निकाला जा रहा है। बताया जा रहा है कि बाढ़ के कारण गाले क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।

सरकार ने आपदाग्रस्त लोगों से बढ़ते जलस्तर से सतर्क रहने और सुरक्षित जगहों पर जाने की बात कही है। श्रीलंका में इतनी भारी मात्रा में नुकसान होना और बाढ़ आने का मुख्य कारण वनों की बड़े पैमाने पर कटाई को माना जा रहा है।

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