दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में देश की राजधानी दिल्ली में कोई भी बिना कारण सड़कों पर नहीं बैठेगा। यहां पर हाड कपा देने वाली ठंड पड रही है और इसी ठंड में अन्नदाता आंदोलन को आग देने में लगे हैं। खुले आसमान तले, पुलिस की लाठिया खाते हुए और ठंडे पानी की बौछार तले ये माटी के लाल कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं।

इस मसले को लेकर सरकार और 35 किसान संगठनों के बीच 1 दिसंबर को बैठक हुई थी। इसमें कोई नतीजा नहीं निकला। इस बैठक में सरकार ने किसानों के सामने कमेटी गठित करने का प्रस्ताव रखा था पर संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

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आंदोलन और किसानों की मांग को लेकर सरकार के साथ किसान संगठन आज फिर बैठक करेंगे। बैठक पहले भी 3 दिसंबर को तय हुई थी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में कोई हल निकले।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मीटिंग में होंगे शामिल

किसान संगठनों की एक ही मांग है कि MSP पर सरकार पुख्ता वादा करे और इसे कानून में शामिल करे। किसान संगठनों को डर है कि मंडी से बाहर आते ही MSP पर असर पड़ेगा और धीरे-धीरे ये खत्म हो जाएगी। इन्हीं शंकाओं के चलते किसान लिखित में सरकार से आश्वासन चाहते हैं और MSP को कानूनी रूप दिलवाने पर अड़े हैं।

सरकार से बातचीत के लिए किसान विज्ञान भवन पहुंच चुके हैं। लेकिन, किसानों की सरकार से चर्चा से पहले गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मीटिंग होनी है। बुधवार शाम अचानक यह फैसला हुआ। पंजाब CMO के मुताबिक मुख्यमंत्री कई सुझाव देंगे ताकि गतिरोध खत्म किया जा सके। शाह और अमरिंदर की बैठक 10.30 बजे दिल्ली में शाह के घर होनी थी, लेकिन सूत्रों का कहना है अब यह मीटिंग 12 बजे होगी।

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एक दिसंबर को सरकार ने पंजाब और UP के किसानों से अलग-अलग बात की थी। यह बैठक बेनतीजा रही थी। किसान नेता आरोप लगा रहे हैं कि सरकार समाधान की जगह साजिश रच रही है। वह किसानों से अलग-अलग बैठक कर उन्हें बांटना चाहती है। किसानों ने फैसला लिया कि सरकार से अब अलग-अलग नहीं, एक साथ मीटिंग करेंगे।

कुल 500 किसान संगठन हैं

सरकार की इस शर्त को न मानते हुए किसान संगठनों ने बुराड़ी ग्राउंड जाने से मना कर दिया। साथ ही कहा वो मैदान खुली जेल की तरह है। करीब 500 किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। पर बातचीत के लिए केवल 32 किसान संगठनों को ही बुलाया गया है।

किसान आंदोलन के बीच देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कृषि कानून को लेकर अन्नदाताओं का भ्रम दूर करने की कोशिश किए पर किसान सरकार से वार्ता करने पर अड़े हैं। प्रधानमंत्री ने मन की बात के जरिए और वाराणसी में देव दीपावली के मौके पर किसानों को कृषि कानून को लेकर बताते हुए दिखे।

किसानों ने सड़के की जाम

दिल्ली में प्रवेश न मिलने के कारण किसान दिल्ली- यूपी बॉर्डर, दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर ही आंदोलन को आग देने लगे। इस कारण आने-जान वाले लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आंदोलन के कारण ट्रैफिक बढ़ गई।….सरकार की तरफ से बातचीत को लेकर हरी झंडी मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इस मसले का कोई हल निकल पाएगा।

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