कई दिनों से चल रही चुनावी गहमागहमी अब खत्म हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मात्र 19 सीटों पर सिमटने वाली बसपा की सुप्रीमो मायावती ने EVM में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग ने इन आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि बसपा द्वारा उठाए गए वोट में छेड़छाड़ के सवाल में चुनाव आयोग को कोई तथ्य नहीं मिला है। भारतीय चुनाव आयोग ने बहुजन समाजवादी पार्टी को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के हेरफेर के बारे में उठाए गए सवालों में उसे कोई योग्यता नहीं मिली, यह आरोप बिल्कुल आधारहीन है। चुनाव आयोग ने कहा, पार्टी के आरोप और प्रार्थना कानूनी तौर पर योग्य नहीं हैं।

चुनाव आयोग द्वारा बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा को पांच पेज का पत्र लिखा गया है जिसमें बताया गया है कि ईवीएम का इस्तेमाल सन् 2000 से सभी चुनावों में किया जा रहा है। इसलिए चुनाव आयोग को इन मशीनों की विश्वसनीयता पर पूर्ण विश्वास है। इस पत्र पर सचिव मदुसूदन गुप्ता द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं। आयोग द्वारा लिखे इस पत्र की एक प्रति को एपीएन द्वारा प्रयोग किया गया है।

पत्र में पहले की घटनाओं के बारे में उल्लेख किया है, जिसमें लिखा है कि सन् 1999, 2001 और 2004 में क्रमश: कर्नाटक, मद्रास और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी ईवीएम के ऊपर उठाए सवालों को अयोग्य बताते हुए ईवीएम के उपयोग को बरकरार रखा है। कर्नाटक और मद्रास उच्च न्यायालय ने ईवीएम के उपयोग को बैलट बॉक्स से ज्यादा विश्वसनीय, सुरक्षित और निष्पक्ष बताया था।

चुनाव आयोग ने आगे अपने पत्र के जरिए बताया कि कैसे तकनीकि रूप से ईवीएम का इस्तेमाल ज्यादा सुरक्षित है और किन बड़े संस्थानों ने इसे प्रमाणित भी किया है। आयोग ने कहा कि डीआरडीओ, इलेक्ट्रॉनिक अनुसंधान एवं विकास केंद्र और आईआईटी मुंबई सहित शीर्ष राष्ट्रीय निकायों के कई तकनीकी विशेषज्ञों ने विभिन्न अवसरों पर ईवीएम के इस्तेमाल का समर्थन किया है।

चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में संपूर्ण प्रक्रियात्मक सुरक्षा बनाए रखा है, सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ बहुस्तरीय जांच और संतुलन तंत्र एक नि: शुल्क और निष्पक्ष चुनाव करता है। इसलिए बहुजन समाजवादी पार्टी द्वारा ईवीएम की खराबी वाली बात बिल्कुल आधारहीन है।

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