ऐसा मालूम होता है कि सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए शुरु हुआ आंदोलन अपनी राह भटक गया है। जो किसान कल तक एमएसपी और मंडियों की बातें करते थे, वही अब देशद्रोह के आरोपियों को जेल से रिहा  के समर्थन में उनके बैनर उठाए उनकी आजादी के मांग कर रहे हैं। आज 16 वें दिन भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों धरने पर बैठे तो हैं लेकिन इस बीच टिकरी बॉर्डर पर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम, उमर खालिद समेत कई आरोपियों के पोस्टर और उनकी रिहाई की मांग की तस्वीर वायरल हो रही है। किसान नेताओं का कहना है कि इन्हें रिहा किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने किसानों के इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने टिकरी बॉर्डर पर शरजील इमाम के पोस्टर का मसला उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसपी, एएमपीसी और अन्य मुद्दे किसानों से संबंधित हैं, लेकिन ये पोस्टर किसान का मुद्दा कैसे हो सकते हैं। यह खतरनाक है और यूनियनों को इससे खुद को दूर रखना चाहिए। यह सिर्फ मुद्दों को हटाने और विचलित करने के लिए है।

दरअसल, किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को किसानों के मंच पर एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव समेत अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी।  आरोप लगाया गया है कि इन सभी को झूठे केसों में अंदर डाला गया है, ऐसे में सरकार को इन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के नेता झंडा सिंह का कहना है कि ये सिर्फ हमारे संगठन की ओर से पोस्टर लगाए गए थे। ये सभी बुद्धिजीवी हैं और हमारी मांग है कि जिन बुद्धिजीवियों को जेल में डाला गया है, उन्हें रिहा किया जाए।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हम किसानों की समस्याओं पर विचार कर रहे हैं। कई बिंदुओं पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों से पूछा कि एपीएमसी को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या करना चाहिए, इस पर किसानों ने कोई जवाब नहीं दिया, वह चुप हो गए।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हमने किसानों को जो सुझाव भेजे हैं, उसमें एपीएमसी मंडी के बाहर प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर किसानों के डर को दूर किया गया है। राज्य सरकारों को अधिकार है कि वह प्राइवेट मंडियों के रजिस्ट्रेशन और टैक्स पर फैसला ले सकती हैं। हम एसडीएम कोर्ट की जगह न्यायिक कोर्ट के रास्ते खोलने पर विचार कर सकते हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि ट्रेडर्स का पैन कार्ड के जरिए रजिस्ट्रेशन के विवाद को राज्य सरकारें सुलझा सकती हैं और वह अपने नियम से ट्रेडर्स का रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं। पराली अध्यादेश का भी हम किसानों के हिसाब से समाधान करेंगे। बिजली को लेकर पहली की व्यवस्था रहने का वादा किया गया है। सब प्रस्ताव हमने भेज दिया है।

किसानों से अपील करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए, सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। किसी कानून के प्रावधान पर चर्चा होती है, हमने प्रस्ताव भेजा है। मेरी अपील है कि आंदोलन को खत्म करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।

तीनों कृषि कानून के वापस लेने के सवाल पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार ने कानून को सोच समझकर बनाया है। किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाया गया है। किसानों की बेहतरी के लिए बनाया गया है, लेकिन अगर यूनियन के दिमाग में कोई बात है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए तैयार है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि आंदोलन के कारण किसानों को भी परेशानी हो रही है। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, इसलिए जनता और किसानों के हित में यूनियन को आंदोलन वापस लेना चाहिए। हमारे प्रपोजल पर अभी आधिकारिक तौर पर यूनियन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, मीडिय के जरिए प्रस्ताव खारिज की खबर मिली है।

कृषि मंत्री की नाराजगी के बाद एक और केंद्रीय मंत्री किसानों के ऐसे रवैये के खिलाफ नजर आए। गिरफ्तार बुद्धिजीवियों आदि की रिहाई की मांग पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंदोलन को टेकओवर करने का ये एक भयावह तरीका है। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग एजेंडे को टेकओवर करने की कोशिश कर रहे हैं। गिरफ्तार बुद्धिजीवियों आदि की रिहाई की मांग पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंदोलन को टेकओवर करने का ये एक भयावह डिजाइन है। इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग एजेंडे को टेकओवर करने की कोशिश कर रहे हैं। कानून मंत्री ने आगे कहा कि वे लोग न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसान संगठनों के विरोध का फायदा उठाने के लिए उनकी तस्वीरें प्रदर्शित की जा रही हैं। शायद ऐसे तत्वों की उपस्थिति के कारण ही सरकार के साथ बातचीत सफल नहीं हो रही है।

आप वीडियो में देख सकते हैं कि किसान आंदोलन के बीच देशद्रोहियों के समर्थन में किस तरह से नारे लगाए जा रहे हैं …

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