राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बुधवार को कहा कि देश के कुछ इलाकों में ‘पारंपरिक रूप से देह व्यापार में शामिल समुदायों एवं बच्चियों’ की पहचान करने के लिए राज्य सरकारें मैपिंग कराएं ताकि इनको इस दलदल से बाहर निकालने के लिए कदम उठाए जा सकें।
‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के मौके पर एनसीपीसीआर ने ‘पारंपरिक रूप से देह व्यापार में लगे समुदायों’ की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देश के कुछ हिस्सों में कुछ ऐसी जातियों का उल्लेख किया गया है जिनके यहां लड़कियों का ‘देह व्यापार’ में जाना एक परंपरा सी बनी हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस तरह की जातियां हैं। इन्हें कहीं ‘नट’, कहीं ‘पेरना’ तो कहीं ‘बेड़िया’ के नाम से जाना जाता है। एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पारंपरिक रूप से देह व्यापार में शामिल समुदायों और बच्चियों की पहचान के लिए राज्य सरकारें मैपिंग कराएं, ऐसे परिवारों की संख्या और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में पता किया जाए।’’
आयोग की अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो ने कहा, ‘‘हमारे समाज में यह स्वीकार नहीं किया जाता कि इस तरह की समस्या है जिसमें लड़कियों को परंपरा के नाम पर देह व्यापार में धकेल दिया जाता है। इसलिए हम चाहते हैं कि राज्य सरकारें पूरी स्थिति का पता करने के लिए मैपिंग कराएं।’’
उन्होंने आगे कहा, कि ‘‘एक बार पूरी स्थिति का पता चल जाने के बाद सभी लोग मिलकर इनके पुनर्वास के लिए कदम उठा सकेंगे। हम राज्य सरकारों को यह रिपोर्ट भेज रहे हैं और आशा करते हैं कि वे इस पर गंभीरता से कदम उठाएंगी।’’