एच-1 बी और एल वन वीजा का मुद्दा भारत लगातार अमेरिका के सामने उठाते रहा है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने अमेरिका से भारतीयों पेशेवरों के लिए वीजा नियमों के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इससे दोनों देशों के बीच संपूर्ण व्यापार समझौते का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

प्रभु ने वाशिंगटन डीसी में दोनों देशों के 11वें व्यापार नीति मंच की गुरुवार को हुई बैठक में भाग लिया था जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारतीय पेशेवरों के लिए अपने वीजा संबंधी नियमों पर फिर से विचार करना चाहिए। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार प्रभु ने बैठक में वीजा संबंधित प्रावधानों को पुरजोर तरीके से उठाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेवा कंपनियों को एच-वन बी और एल-वन वीजा हासिल करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बता दें कि अमेरिकी श्रमिकों को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से ट्रम्प प्रशासन ने इसे हफ्ते एच-1 एल-वन वीजा के नवीनीकरण को और जटिल बना दिया है। इस नए नियमों के मुताबिक, इन वीजा पर अमेरिका में कार्य करने वाले भारतीय आईटी पेशेवर सामाजिक सुरक्षामें किए गए अपने योगदान करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर का होता है।

प्रभु की मानें तो अमेरिकी वीजा और अमेरिकी सामाजिक सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव है। अमेरिका में भारतीय पेशेवर सामाजिक सुरक्षा के लिए योगदान करते हैं, लेकिन उन्हें स्वदेश लौटने पर इसके लाभ नहीं मिल पाते हैं।

इस दौरान सुरेश प्रभु ने यहाँ भी कहा कि इस नियम से अमेरिकी अर्थव्यस्था को भी अब हालात का सामना करने में खासी मुश्किल होगी क्योंकि भारतीय आईटी पेशवरों से उसे काफी फायदा मिल रहा है।

गौरतलब है कि अमेरिका में ट्रम्प सरकार के आने के बाद से एच-वन बी और एल- वन में काफी बदलाव आया है जिससे भारतीय पेशेवरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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