भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है। भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इतनी बड़ी जनसंख्या में यहां कोर्ट में केसों की भी संख्या ज्यादा होना लाजमी है और कोर्ट में न्यायधीशों की संख्या पेंडिंग केसों के अनुसार काफी कम है। यही वजह है कि भारत की अदालतों में लाखों-करोड़ो केस पेंडिंग पड़े हुए है। इस समस्या को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष की गर्मी छुट्टियों में भी काम करने का फैसला किया है। भारत की इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि गर्मी की छुट्टियों में सुप्रीम कोर्ट खुले रहेंगे और उसमें जज समेत सभी कर्मचारी कोर्ट में काम करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जे.एस खेहर ने केंद्र सरकार से कहा कि वे अगर साथ दें तो हम छुट्टियों में काम करने को तैयार हैं। चीफ जस्टिस ने गुरुवार को बताया कि उन्होंने तीन अलग-अलग संविधान खंडपीठ बनाई हैं जो गर्मी की छुट्टियों में मामले तो देखेंगी। उन्होंने कहा कि ट्रिपल तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच 11 से 19 मई तक सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि अगर वकील राजी हों तो कोर्ट मामले की सुनवाई के दौरान पड़ने वाले शनिवार और रविवार को भी काम करने को तैयार हैं।
हालांकि इस फैसले पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और कपिल सिबब्ल ने विरोध जताते हुए कहा कि इससे वकीलों को मुश्किलें आएंगी क्योंकि कोर्ट ने दो अन्य संवैधानिक बेंचों को इसी समयावधि में वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी और असम नागरिकता विवाद पर सुनवाई का काम दे रखा है। चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल की चिंता का जवाब सख्त रुप में देते हुए कहा कि अगर आप छुट्टियों के दौरान काम नहीं करना चाहते तो हमें जिम्मेदार मत ठहराइए। जे एस खेहर ने कहा कि पिछले वर्ष मैं भी पूरी छुट्टियों भर फैसले लिखता रहा।
खेहर और चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि कोर्ट के सामने लंबित मामलों से ‘भावनाएं’ जुड़ी हैं। पांच जजों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर विचार करेगी, जिसके लिए विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। बेंच ने कहा, ‘अगर हमने इस पर अभी फैसला नहीं लिया तो यह सालों साल और कई दशकों तक नहीं होगा।’