Supreme Court ने शुक्रवार को आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में आ रहीं दिक्कतों के मामले में सुनवाई की। ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से EWS श्रेणी के अभिभावकों पर पड़ने वाले बोझ पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं खुद भी यह जानता हूँ कि कई परिवार ऐसे हैं, जहां एक मोबाइल पर घर के सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा ये बच्चे इस देश के भविष्य हैं। उनकी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बच्चे किसी भी तबके के हो उनकी जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए।
इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि EWS श्रेणी के छात्रों को ऑनलाइन क्लास के लिए सरकार सभी सुविधा मुहैया कराए। इसके अलावा दिल्ली सरकार और केंद्र को EWS बच्चों के लिए गैजेट्स के फंड के लिए योजना तैयार करने का निर्देश दिया और केंद्र और दिल्ली को तत्काल इस विषय पर एक साथ काम करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति की आप कल्पना कीजिए। दिल्ली तो तकनीकी रूप से विकसित है लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में क्या हालात होंगे? ऐसी स्थिति में वहां छात्र पढ़ाई के लाभ से वंचित होंगे ही, उनपर तस्करी, बाल श्रम जैसे खतरे भी रहेंगे।
‘बच्चे है देश के भविष्य’
कोर्ट ने कहा कि EWS वर्ग छात्रों के परिजन इतने संपन्न नहीं हैं कि अपने बच्चो को सभी सुविधा दे पाएं। सोचिए जिस बच्चे की मां नौकरानी या पिता ड्राइवर होगा उस बच्चे को लैपटॉप कैसे मिल पाएगा? कोर्ट ने कहा महामारी के दौरान छात्रों के लिए डिजिटल डिवाइड ने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। EWS वर्ग के बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया। ऐसे छात्र ऑनलाइन कक्षाओं के लिए कंप्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते।
इसलिए यह जरूरी है कि सरकार को उन छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। सरकार चाहे तो इसके लिए CSR फंडिंग का उपयोग कर सकती है।
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों जैसे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले EWS वर्ग के छात्रों को ऑनलाइन पढाई की सुविधा के लिए गैजेट और इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जाए।
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