दिल्ली में सीलिंग के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ढील देने के मूड में नहीं दिख रहा है। शुक्रवार को भी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिहायशी इलाकों में कारखाने चलाये जाने को लेकर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि रिहायशी इलाकों से उद्योग हटाने को लेकर उसके 2004 के आदेश को पूरी तरह लागू नहीं किया गया। दिल्ली के कई रिहायशी इलाकों में औद्योगिक गतिविधियां चल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हालात को अफसोसजनक बताया और 2004 के आदेश को लागू करने में हुई कोताही पर रिपोर्ट मांगी है।

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त, तीनों एमसीडी के आयुक्त और डीडीए के उपाध्यक्ष रिपोर्ट पेश कर बताये की इंडस्ट्री को रिहायशी इलाके से कही और स्थान्तरित करने पर क्या कार्रवाई हुई? सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरे ने कोर्ट को जानकारी दी कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम यानी एसडीएमसी ने सरकुलर जारी किया है कि संशोधित मास्टर प्लान 28 अगस्त से लागू किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि डीडीए औऱ एसडीएमसी के वकील तक पेश नहीं हो रहे हैं। उन्हें अदालत की परवाह तक नही है। इसके बाद ASG ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह शहरी विकास मंत्रालय को सलाह देंगे कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बिना संशोधित मास्टर प्लान को नोटिफाई न किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप अवैध निर्माणों को नियमित करने की उम्मीद जगा कर जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे है।  लोग मर रहे है लेकिन आपने कमला मिल से सबक नही लिया है।  कोर्ट में मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट भी पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि बुराड़ी, विश्वास नगर और कड़कड़डूमा मेट्रो स्टेशन के पास DDA की जमीन पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गयी है और अतिक्रमण हटा दिया गया है।

एपीएन ब्यूरो

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