Supreme Court: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के इकोनॉमी कॉरिडोर मामले की सुनवाई, कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति में किया बदलाव

Supreme Court: गौरतलब है कि एनजीओ सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने देहरादून और दिल्ली के बीच NH 72ए के एक हिस्से में गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन और चौड़ीकरण और एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की वैधता का मुद्दा उठाया था।

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Supreme Court: सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून की याचिका पर सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने NGT की ओर से गठित 12 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में बदलाव कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने DG MoEF सीपी गोयल कमेटी को 12 सदस्य कमेटी के अध्यक्ष बनाया। इसके अलावा कमेटी में दो अन्य सदस्य डॉ अनिल कुमार जोशी HESCO, विजय धस्माना होंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से नामों पर विचार करने को कहा था।वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ऋत्विक दत्ता ने भी कुछ नाम सुझाए थे। जिनमें विभाष पांडव भारतीय वन्य जीव संस्थान की फैक्‍लटी, रिटायर्ड जनरल एमके सिंह का नाम साइंसटिफिक तरीकों से पेड़ों की कटाई में एक्सपर्ट, सुझाया था।

दरअसल NGO ने दिल्ली से देहरादून तक राष्ट्रीय राजमार्ग -72 के सुधार और विस्तार के लिए राजमार्ग के एक हिस्से के लिए गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग, चौड़ीकरण और एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए वन मंजूरी और वन्यजीव मंजूरी को चुनौती देते हुए पेड़ों की कटाई का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया था।

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Supreme Court: एनजीओ ने एनजीटी के आदेश को दी थी चुनौती

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गौरतलब है कि एनजीओ सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने देहरादून और दिल्ली के बीच NH 72ए के एक हिस्से में गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन और चौड़ीकरण और एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की वैधता का मुद्दा उठाया था। इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)के आदेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा परियोजना के लिए दी गई वन मंजूरी की वैधता को बरकरार रखा गया था।

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