Supreme Court: नोएडा की Ex CEO रितु माहेश्वरी को SC से झटका, कोर्ट का अंतरिम राहत देने से इंकार

Supreme Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर ज़मानती वारंट जारी किया था। जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।सुप्रीम कोर्ट ने माहेश्वरी के वकील ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए, मामले में अंतरिम राहत की मांग की थी।

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Noida Ex CEO Ritu Maheswari

Supreme Court: नोएडा ऑथोरिटी की पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।उनके खिलाफ जारी अवमानना नोटिस के मामले में कोर्ट ने उन्‍हें कोई राहत नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को अंतरिम राहत देने से साफ इनकार कर दिया। मालूम हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो आपको इसका नतीजा भुगतना होगा।

CJI एनवी रमना का कहना था कि हर दूसरे दिन कुछ अधिकारी गंभीर मामलों में भी निर्देश के लिए कोर्ट आ जाते हैं। आप IAS अधिकारी हैं आपको नियम पता है। CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रोज इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है। हर रोज एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है, यह सब क्या है?

आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करना चाहते।दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर ज़मानती वारंट जारी किया था। जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।सुप्रीम कोर्ट ने माहेश्वरी के वकील ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए, मामले में अंतरिम राहत की मांग की थी।

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Supreme Court: क्‍या था मामला

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नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत भूमि अधिग्रहण किया था।जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी। वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था।

हाईकोर्ट ने ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था। मनोरमा को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था।

प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया था।इसी मामले को लेकर आदेश की अवमानना बताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट किया था।

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