भारत ने 70वें गणतंत्र दिवस की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भारत के मुख्य अतिथि हो सकते हैं। रामाफोसा ने भारत का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। रामाफोसा को दक्षिण अफ्रिका में महात्मा गांधी का प्रशंसक माना जाता  है। इनके अलावा भी सरकार चार अन्य नामों पर विचार किया जा रहा था।  बता दें कि ऐसा पहली बार है जब गणतंत्र दिवस में किसी अफ्रीकी नेता को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया जा रहा है।

रामाफोसा से पहले भारत सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गणतंत्र दिवस परेड समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने के लिए न्योता भेजा था  लेकिन ट्रंप ने जरूरी कामों का हवाला देते हुए परेड में मुख्य अतिथि बनने का भारत को न्योता अस्वीकार कर दिया था। इन जरूरी कामों में ‘स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस’ (एसओटीयू) भी शामिल है, जो उसी वक्त तय है जब भारत अपना गणतंत्र दिवस मना रहा होगा।

66 साल के माटामेला सिरिल रामाफोसा दक्षिण अफ्रीका के पांचवें राष्ट्रपति हैं। जैकब जुमा के इस्तीफे के बाद वह इसी साल फरवरी में राष्ट्रपति बने। वो रंगभेद आंदोलन में जोरशोर शिरकत कर चुके हैं। इसके अलावा ट्रेड यूनियन नेता और व्यापारी रहे हैं। रामाफोसा ने 2014 से 2018 तक दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति का पद संभाला था। वह दिसंबर 2017 में एएनसी राष्ट्रीय सम्मेलन में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) के अध्यक्ष चुने गए थे।

दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह का प्रमुख सदस्य है। रामाफोसा अफ्रीकी महाद्वीप के बड़े नेताओं में से एक है। मोदी ने इस साल जून में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रामफोसा से मुलाकात की थी।

वहीं रामाफोसा की निजी जिंदगी की बात करें तो उनके निजि जीवन की जानकारियां पब्लिक डोमेन में नहीं हैं। उन्होंने तीन शादियां कीं, उनके पांच बच्चे हैं। केपटाउन में उनकी बेहद लग्जरी हवेली है। रामाफोसा को दक्षिण अफ्रीका के सबसे अमीर लोगों में गिना जाता है। वे फोर्ब्स अफ्रीका और ब्लूमबर्ग जैसी बिजनेस पत्रिकाओं में आमतौर पर दिखाई देते है।

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ये है सिरिल रामाफोसा का गांधी कनेक्शन?
रामाफोसा हमेशा से गांधी के प्रशंसक और गांधी अनुयायी रहे हैं।  इसी साल अप्रैल में, रामफोसा ने जोहान्सबर्ग के करीब भारतीय टाउनशिप लेनासिया में सलाना ‘गांधी वॉक’ में लगभग 5,000 लोगों के हिस्सा लिया था। रामफोसा को आमंत्रित करने का निर्णय महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के साथ भी जुड़ा हुआ है।

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