बिहार के गया में बारिश की बेरुखी से किसान परेशान हैं। गया समेत पूरे राज्य में सूखे की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। बारिश के इंतजार में किसानों की आंखें पथरा गई हैं।  ऐसे में अब किसानों को धान की सीधी बुआई और कम अवधि वाली वेराइटी से ही उम्मीद है। पिछले वर्ष की तुलना में आधी से भी कम रोपनी हुई है। अबतक मात्र 19.14 प्रतिशत ही रोपनी हो सकी है। जिससे किसान तो परेशान हैं ही कम बारिश से धान उत्पादन के कम होने के आसार बढ़ गए हैं। पटना,भागलपुर,मुजफ्फरपुर सहित 36 जिलों में सामान्य से भी कम बारिश हुई है।

एक तरफ देश के कई हिस्सों में अत्यधिक बारिश के कारण लोगों का जनजीवन प्रभावित है तो दूसरी ओर पूरे बिहार के साथ साथ गया जिले में किसानों की आस बारिश ना होने से टूटने लगी है। किसी तरह से धान के बिचड़े तो बुन दिए गए थे लेकिन लगभग 20 दिनों से बूंदाबांदी भी ना होने के कारण बिचड़े सूखने लगे हैं और खेत दरकने लगे हैं। जिले के वजीरगंज प्रखंड के पुनावां गांव में तो कई किसान बारिश के भरोसे बीज खेंतो में डाल दिये जो ज्यों के त्यों पड़े हैं।  पिछले साल भी कम ही बरसात हुई थी। जिस कारण पीने के लिए पानी की भी घोर किल्लत हो गयी है।

नदी, आहर पोखर सूखे पड़े हैं। भीषण गर्मी के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। बरसात के दिनों में हरा भरा दिखने वाले खेत सूखे पडे हैं और किसानों के बीच मायूसी छायी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि सूखे की स्थिति में सरकार की अधूरी तैयारी क्या किसानों की परेशानी को और बढ़ा रही है। दरअसल, ये सवाल इसलिए क्योंकि सरकार की तरफ से दावा किया जाता है कि सिंचाई को लेकर हमारी सरकार काम कर रही है। जल संरक्षष के दावे भी किए जाते हैं लेकिन इन दावों की पोल तक खुलती है जब किसान सूखे से परेशान होकर, सरकार से उम्मीदें छोड़कर अपनी जान देना ज्यादा मुनासिब समझने लगते हैं।

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