सरकारी प्राइमरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास अब सरकारी इमदाद की मोहताज नहीं रहीं। अब लोगों के सहयोग से स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाई जा रही है। कहीं जिलाधिकारी तो कहीं कोई गैर सरकारी संगठन तो कहीं शिक्षकों के अपने समूह स्कूलों में स्मार्ट क्लास की शुरुआत करने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे 1200 से ज्यादा स्कूलों की पहचान हो चुकी है जहां अपने संसाधनों से इसकी शुरुआत की गई है।

बता दें कि बेसिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिलों को निर्देश भेज कर ऐसे स्कूलों की सूची मंगवाई है। विभाग की मंशा है कि ऐसे स्कूलों का ब्यौरा जारी कर अन्य शिक्षकों व कर्मचारियों को प्रेरित किया जा सके। स्मार्ट क्लास की संख्या उन जिलों में ज्यादा है जहां बेसिक शिक्षा अधिकारी, अन्य अधिकारी या शिक्षक इसमें रुचि लेते हैं।

6बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हम शिक्षकों को प्रोत्साहित करें। तकनीकी के इस्तेमाल से शिक्षकों का काम आसान हो रहा है। ऐसे शिक्षकों को हम सम्मानित करेंगे इससे अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा मिलेगी।

वहीं विभाग ऐसे स्कूलों का एक पूरा डाटाबेस तैयार कर रहा है। इसमें सामने आया है कि ऐसे शिक्षक ज्यादा उत्साहित हैं जो नये हैं और किन्हीं कारणों से प्राइवेट नौकरियां छोड़ कर आये हैं या फिर अन्य प्रोफेशनल डिग्रियां ले रखी हैं।
वे अपने कौशल या ज्ञान का इस्तेमाल बच्चों के बीच कर रहे हैं। मसलन बाराबंकी के एक शिक्षक ने तो अपने स्कूल का पूरा क्यूआर कोड बना रखा है जिसे स्कैन करते ही स्कूल का पूरा ब्योरा लोग देख सकते हैं।

smart class e1650527167892मसलन हरदोई, सीतापुर, मिर्जापुर, मऊ व औरैया में 100 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहां स्मार्ट क्लास चलाई जा रही है। वहीं बांदा, मुरादबाद, कानपुर देहात जैसे कई जिले हैं जहां एक से 3 स्कूलों में स्मार्ट क्लास है। विभाग ऐसे शिक्षकों की मंडलवार सम्मेलन करवा रहा है जो अपने अनुभवों को एक मंच पर साझा कर रहे हैं। इनमें से कुछ शिक्षकों को छांटकर राज्य स्तर पर बुलाया जाएगा।  दिसम्बर में आयोजन कर ऐसे शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।

ssऐसे बनती है स्मार्ट क्लास
एक स्मार्ट क्लास में एक से सवा लाख रुपये तक का खर्च आता है। इसके लिए प्रोजेक्टर, बोर्ड, लैपटॉप जैसे कई चीजों की जरूरत होती है। सभी स्कूलों में एक जैसे स्मार्ट क्लास नहीं है। जिस हिसाब से फण्ड मिला उस हिसाब से स्मार्ट क्लास बन गई और कहीं-कहीं कई लोगों के सहयोग से एक स्मार्ट क्लास बनाई गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here