रांची में इस समय मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था विवादों में घिरी हुई है। विवाद इतना बढ़ चुका है कि अब मदर टेरेसा के चारित्रिक चित्रण पर भी सवाल उठने लगे हैं। हाल ये है कि अब ये मामला भी राजनीतिक रंग ले चुका है और इसकी सीबीआई जांच की मांग उठने लगी है। हालांकि पुलिस को इस केस में बड़ी कामयाबी मिली है।  सेंट मदर टेरेसा द्वार शुरू की गई संस्था मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की एक नन और सिस्टर कोनसिलिया ने यह बात कबूल कर ली है कि उन लोगों ने मिलकर बच्चे बेचे थे. रांची पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए सिस्टर कोनसिलिया ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपयों में दो बच्चों को बेचा है जबकि एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपये में बेचा था।

वहीं दूसरी तरफ मिशनरीज ऑफ चैरिटी से बच्चों की बिक्री के मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। शुक्रवार को केंद्रीय एसटी-एससी आयोग के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर ओरांव रांची में मदर टेरेसा की संस्था निर्मल ह्रदय में जाकर सिस्टर और नन से मुलाकात की और पूरे मामले की जानकारी ली। रामेश्वर उरांव ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की मिशनरी इस संस्था को बदनाम कर रही है. इसकी सही तरीके से जांच होनी चाहिए। मिशनरीज का आरोप है कि राज्य सरकार बेवजह परेशान कर रही है। शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय एसटी-एससी आयोग के अध्यक्ष रह चुके रामेश्वर ओरांव मदर की संस्था निर्मल ह्दय जाकर पूरी जानकारी ली और कहा कि जिस तरह से जांच की जा रही है, वो गलत है और यह सिर्फ मदर टेरेसा की संस्था को बदनाम करने की कोशिश है।

बता दें कि पुलिस ने मामले में तीन बच्चों को बरामद किया था। नन के कबूलनामे के अलावा एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें संस्था की एक कर्मचारी सिस्टर कोनसिलिया यह कबूल करते हुए नजर आ रही हैं कि उसने बच्चे बेचे हैं जबकि एक बच्चे को बिना पैसों के यानि फ्री में दे दिया था। वहीं मदर टेरेसा पर एक बार फिर संत उपाधि को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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