स्कूलों की फीस तय समयसीमा पर न भरने के कारण स्कूल बच्चों के साथ बुरा व्यवहार और उनको सजा देने से भी नहीं कतरा रहें है। देश का भविष्य कहे जाने वाले इन मासूम बच्चों को ही शिक्षा के मंदिर में जमीन पर बैठाया जा रहा है। दिल्ली से सटे गुरूग्राम और गाजियाबाद से ऐसे ही दो मामले सामने आए है। जहां नामी स्कूल फीस जमा न होने पर मासूमों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहें है।

पहला मामला गुरुग्राम से है जहां के एक नामी स्कूल डीपीएसजी ने फीस न देने पर बच्चों को स्कूल में करीब तीन घंटे तक फर्श पर बैठाया गया। इस मामले में डीपीएसजी मैनेजमेंट के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी गई है।

न्यू पालम विहार निवासी रवि कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया है कि उनकी 10 साल की बेटी वंशिका और 9 साल का बेटा प्रिंस डीपीएसजी में पढ़ते है। पिछले सत्र 2016-17 में डीपीएसजी मैनेजमेंट ने यह स्कूल टेकओवर किया था। नए मैनेजमेंट ने चार्ज लेते ही फीस बढ़ा दी। रवि के मुताबिक बढ़ी फीस न देने पर 25 जनवरी को उनकी बेटी, उसकी चचेरी बहन दीक्षा व कई अन्य बच्चों को करीब 3 घंटे तक क्लास के बाहर ठंड में फर्श पर बैठाया गया। रवि ने स्कूल प्रिंसिपल पर बच्चों को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। वहीं पुलिस ने स्कूल मैनेजमेंट को नोटिस देकर जवाब मांगा तो प्रिंसिपल दीपिका शर्मा ने सफाई दी कि स्कूल में कल्चरल ऐक्टिविटी की प्रैक्टिस चल रही थी, फीस से जुड़ा कोई मामला नहीं था।

 फीस जमा महीं, रोकी बच्चे की एंट्री

वहीं दूसरा मामला यूपी के गाजियाबाद से भी सामने आया है। इंदिरा पुरम के शक्तिखंड-3 स्थित जीडी गोयनका स्कूल में वार्षिक फीस जमा न करने पर सोमवार को दूसरी कक्षा के एक छात्र को स्कूल प्रबंधन ने स्कूल में एंट्री से रोक दिया। इसके बाद बच्चे के पिता और पैरंट्स असोसिशन के सदस्यों ने मौके पर पुलिस बुला ली। पुलिस की निगरानी में स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक हुई। इस  बैठक में स्कूल प्रबंधन ने वार्षिक शुल्क लेने से संबंधित शासन के आदेश होने का दावा किया, लेकिन स्कूल ने आदेश की कोई कॉपी नहीं दिखाई। स्कूल प्रबंधन ने पुलिस की मौजूदगी में आदेश की कॉपी दिखाने का आश्वासन दिया है। अभिभावक का कहना है कि स्कूल प्रबंधन वार्षिक शुल्क से संबंधित आदेश की कॉपी दिखाता है तो वह शुल्क जमा करवा देंगे।

उधर, ऑल स्कूल पैरंट्स असोसिएशन की अध्यक्ष शिवानी जैन का कहना है कि यूपी सरकार की ओर से फीस नियमावली को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में स्कूल वार्षिक शुल्क की डिमांड नहीं कर सकता।

जिला विद्यालय निरीक्षक पंकज पांडे ने कहा कि स्कूल की ओर से दावा किया जा रहा है कि उसके पास आदेश की कॉपी है तो जांच की जाएंगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

सारांश- दिल्ली से सटे गुरूग्राम और गाजियाबाद के नामी स्कूल फीस जमा करने पर बच्चों को स्कूलों में एंट्री नहीं दे रहे है और तीन घंटे तक फर्श पर बैठा रहें है।

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