Sedition Law: राजद्रोह कानून पर सुनवाई, केंद्र सरकार को तीन मई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश

Sedition Law: राजद्रोह कानून अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। इस बाबत पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस कानून को रद्द क्‍यों नहीं किया जा रहा है?

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Sedition Law: राजद्रोह कानून को चुनौती देने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। राजद्रोह कानून की धारा 124 A की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब अगली सुनवाई पांच मई को होगी। इस मामले में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगले 2 से 3 दिन में अपना जवाब दाखिल कर देंगे।

CJI ने 3 मई तक याचिकाकर्ता को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट पांच मई से मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा,मामले की सुनवाई को टाला नहीं जाएगा।

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Sedition Law: अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था ‘राजद्रोह कानून’

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राजद्रोह कानून अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। इस बाबत पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस कानून को रद्द क्‍यों नहीं किया जा रहा है? भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह की परिभाषा दी गई है।

इसके तहत अगर कोई सरकार के खिलाफ सामग्री लिखता या बोलता है। चिन्‍हों का अपमान करता है। संविधान को नीचा दिखाने का प्रयास करता है। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है। वहीं अगर कोई ऐसे संगठन से संबंध रखता है, जोकि देश के खिलाफ काम करता है, तो उसके खिलाफ भी राजद्रोह के तहत मामला दर्ज होगा।

अंग्रेजों ने इसे वर्ष 1870 में लागू किया था, इसके तहत सरकार की निंदा, विरोध और अपमान करने पर कार्रवाई की जाती थी। इसके तहत आरोपी शख्‍स सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर सकता था। उसे कोर्ट के समक्ष पेश होना पड़ता था।

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