सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सरकार की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए जस्टिस के एम जोसेफ का नाम दोबारा भेजने के लिए सैद्धांतिक रुप से सहमत हो गया है। शुक्रवार (11 मई ) को हुई कॉलेजियम की बैठक में ये सहमति बनी। साथ ही ये तय किया गया कि जस्टिस जोसेफ के नाम के साथ कुछ और नामों की भी सिफारिश की जाएगी। ये सिफारिश 16 मई को होने वाली कॉलिजयम की बैठक में की जाएंगी।

न्यायपालिका और कार्यपालिका फिर आमने सामने हैं। मुद्दा फिर वही जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने शुक्रवार (11 मई ) को हुई बैठक में सैद्धांतिक तौर पर जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजने पर सहमति बना ली। अब 16 मई को कॉलेजियम की बैठक के बाद उनका नाम भेजा जाएगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने कॉलेजियम की बैठक में हिस्सा लिया। जस्टिस के एम जोसेफ फिलहाल उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं।

कॉलेजियम ने इसी साल 10 जनवरी को जस्टिस के एम जोसेफ और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा के नाम की सिफारिश की थी। केंद्र ने करीब तीन महीने के इंतजार के बाद इंदु मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी लेकिन जस्टिस जोसेफ के नाम को कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेज दिया था।

केंद्र सरकार का मानना है कि कॉलेजियम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय मानकों के मुताबिक नहीं है। केंद्र की ये भी दलील है कि सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन के लिए उनकी वरिष्ठता का मुद्दा उठाया था। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जजों में से जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने बुधवार (9 मई ) को मुख्य न्यायाधीश को खत लिखकर कहा था कि कॉलेजियम को जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की केंद्र सरकार से दोबारा सिफारिश करनी चाहिए। 22 जून को जस्टिस चेलमेश्वर रिटायर हो जाएंगे। उन्होंने जस्टिस जोसेफ के प्रमोशन पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा खड़े किए गए सभी बिंदुओं का जवाब भी मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा को लिखे अपने खत में दिया है।

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