लोकसभा सांसदों के पिछले तीन सालों की संसद में उपस्थिति का लेखा जोखा हुआ तो 545 सांसदों में सिर्फ 5 संसद ही सौ प्रतिशत उपस्थिति रहे राहुल और डिंपल यादव जैसे हाई प्रोफाइल सांसदों की उपस्थिति अपने बुजुर्गों से भी कम रही। इस उपस्थिति के लेखे जोखे में 100 परसेंट उपस्थिति देने वालों में भाजपा के 4 और बीजू जनता दल का एक सांसद शामिल है। इसमें भाजपा के उत्तर प्रदेश के बांदा से सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने टॉप किया है क्योंकि उन्होंने 1468 बहसों और चर्चाओं में भाग लिया था, जो लोकसभा में सर्वाधिक है। फिर भाजपा के ही गोपाल शेट्टी, किरीट सोलंकी, रमेश चंद्र कौशिक और बीजद के कुलमणि समल शामिल हैं।
अगर सुर्खियों में रहे सांसदों की बात करें तो राहुल गांधी जिनके उपस्थिति पर पूरे देश की नज़र रहती है उनकी उपस्थिति अपनी मां सोनिया से भी कम है। अक्सर बीमार रहने वाली, मां सोनिया की उपस्थिति 59 प्रतिशत है तो बेटे राहुल की 54 प्रतिशत। बड़े नाम वालों में राहुल अकेले ही नहीं हैं इसमें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधु डिंपल यादव भी शामिल हैं जिनकी उपस्थिति सिर्फ 35 प्रतिशत है जबकि उनके उम्रदराज ससुर मुलायम सिंह की उपस्थिति 79 प्रतिशत है। इसे देख कर कहा जा सकता है कि इन लोगों को अपने बड़ों से कुछ सीखना चाहिए!
गैर लाभकारी शोध निकाय ‘पीआरएस लेजिस्लेटिव’ के आंकड़ों के अनुसार 90 प्रतिशत उपस्थिति या उससे ज्यादा देने वालों में करीब 25 प्रतिशत सांसदों (133 सदस्य) हैं। जिन्होंने 90 प्रतिशत से अधिक बैठकों में भाग लिया, जबकि सांसदों का राष्ट्रीय औसत 80 प्रतिशत है। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 92 प्रतिशत और वीरप्पा मोइली ने 91 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 80 और राजीव सातव ने 81 प्रतिशत बैठकों में हिस्सा लिया है। आपको बता दें कि लोकसभा के 22 सदस्य ऐसे भी हैं जिन्होंने आधे से भी कम बैठकों में भाग लिया है और इसमें डिंपल यादव भी शामिल हैं।
अमरिंदर सिंह दिसंबर 2016 तक सदन के सदस्य थे इस दौरान उन्होंने सिर्फ छह प्रतिशत बैठकों में भाग लिया, जबकि महबूबा मुफ्ती ने 35 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया है । महबूबा ने जनवरी 2016 में सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अभिनेता से नेता बने सांसदों में चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर की उपस्थिति 86 प्रतिशत है , जबकि परेश रावल की उपस्थिति का प्रतिशत 68 रही। शत्रुघ्न सिन्हा ने 70 प्रतिशत बैठकों में भाग लिया, लेकिन उन्होंने किसी चर्चा में भाग नहीं लिया और न ही कोई सवाल पूछा है। फिलहाल इसमें प्रधानमंत्री और कुछ मंत्रियों के रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि उनके लिए उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना जरूरी नहीं होता है।