विश्व के सात अजूबों में से एक ताजमहल, इन दिनों सियासी हुक्मरानों की एक नई चाल बन गई है। जिसपर खूब सियासी दांव पेंच खेले जा रहे हैं। इन सियासी हुक्मरानों की दांव पेंच की सूची में पहला नाम अयोध्या का राम मंदिर तो था ही लेकिन अब दूसरा नाम शाहजहां द्वारा बेगम मुमताज की याद में बनवाया गया ताजमहल का जुड़ गया है। मोहब्बत की अनूठी निशानी में से एक ताजमहल पर हाल के कुछ दिनों में जमकर सियासी टिका-टिप्पणी की जा रही है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के इतिहास विंग अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अपील की है कि, ताजमहल में शुक्रवार को होने वाली नमाज पर रोक लगा दी जाए। साथ ही यह भी कहा कि अगर ताजमहल के अंदर नमाज पर रोक न लगा सकें तो फिर हमें भी ताजमहल के अंदर शिव चालीसा पढ़ने की अनुमति दी जाए। क्योंकि समिति का मानना है कि ताजमहल शाहजहां ने नहीं बनवाया था बल्कि यह भगवान शिव का मंदिर है जो एक हिंदू राजा ने बनवाया था।

ताजमहल को लेकर RSS की सहयोगी संस्था अखिल भारतीय इतिहास संकलन समीति के नेशनल सेकेट्ररी डॉ. बालमुकुंद पांडे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, ताजमहल एक राष्ट्रीय संपदा है, तो उसे मुस्लिमों को धार्मिक स्थान के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी जाती है। ताजमहल में नमाज पढ़ने की प्रक्रिया पर रोक लगा देनी चाहिए। इसके बाद पांडे ने कहा, ताजमहल एक शिव मंदिर था जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था। साथ ही कहा कि, हम इसके अन्य सबूत जुटाने में लगे और बहुत ही जल्द सबके सामने इन्हें पेश किया जाएगा।

इसके बाद ताजमहल में स्थित मस्जिद के इमाम सादिक अली ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ताजमहल में शिव चालीसा नहीं हो सकती है, क्योंकि यहां पर कब्रिस्तान है। उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान में शिव चालीसा नहीं हो सकती है, ये जो भी विवाद हो रहा है वो सही नहीं है।

ताजमहल विवाद की चिंगारी भाजपा विधायक संगीत सोम और नेता विनय कटियार के विवादित बयानों ने दी। उसके बाद हिंदू युवा वाहिनी के कुछ सदस्यों ने ताजमहल के बाहर शिव चालीसा भी किया।

इसके अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताजमहल का दौरा किया था। योगी के दौरे के बाद लगा था कि ताजमहल पर सियासी बहस शांत हो जाएगी, लेकिन RSS की इस मांग के बाद लगता नहीं है कि यह बहस थमने वाली है।

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