नागपुर की एक अदालत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वार्षिक ‘पथ संचलन’ कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थान पर लाठियों का इस्तेमाल करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर संघ प्रमुख मोहन भागवत और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा।

सामाजिक कार्यकर्ता मोहनीश जीवनलाल जबलपुरी ने सत्र अदालत से मांग की थी कि सार्वजनिक स्थान पर लाठियों का इस्तेमाल करने के मामले में भागवत और संघ सदस्य अनिल भोखारे के खिलाफ शस्त्र कानून के तहत कार्रवाई की जाए। सत्र अदालत ने राज्य सरकार, नागपुर पुलिस, भागवत और भोखारे को नोटिस जारी किये और अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की।

याचिकाकर्ता ने शिकायत में कहा है कि इसी साल सात जून में संघ मुख्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में संघ ने पुलिस से 700 स्वयं सेवकों के साथ पथ संचालन की अनुमित मांगी थी। पुलिस ने कार्यक्रम को बगैर हथियार करने को मंजूरी दी थी। लेकिन इस रैली में शर्तों का उल्लंघन हुआ और स्वंय सेवक लाठियों के साथ पथ संचलन में शामिल हुए। याचिकाकर्ता ने इसकी शिकायत पहले मजिस्ट्रेट से की लेकिन मामला खारिज होने के बाद वह सेशन कोर्ट पहुंच गए।

बता दें कि सात जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष का आयोजन हुआ था। इसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी शामिल हुए थे। कार्यक्रम में उनके शिरकत करने को लेकर कांग्रेस में जमकर बवाल हुआ। इसके बादवजूद भी वे कार्यक्रम में शामिल हुए। खुद मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा भी अपने पिता के इस फैसले पर नाखुश थी।

यहां अपने भाषण में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वो राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति के बारे में अपने विचार रखने यहां आए हैं। सभी बातें एक दूसरे के साथ मिली हुई हैं। मुझे लगता है कि इन्हें अलग-अलग करना मुमकिन नहीं है। राष्ट्र, राष्ट्रीयता और देशभक्ति तीनों में नाममात्र का ही अंतर है।

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