2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ सूबे के मुखिया बने तो उन्होंने 15 जून 2017 तक प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का आदेश दिया था। आज योगी सरकार के बने सवा साल हो चुके हैं तो क्या सूबे की सभी सड़कें गड्ढामुक्त हो चुकी हैं। इसी की तहकीकात करने के लिए हम भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पहुंचे।

सबसे पहले हम आपको राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 बी का हाल दिखाते हैं, कुशीनगर जिले में लगभग 65 किलोमीटर तक फैली है। ये सड़क अलग अलग जगहों पर अलग अलग स्थिति में है। कही सड़क अच्छी हैं तो कही बेहद जर्जर हाल में है। अगर कसया से पडरौना की बात करें तो ये सड़क लगभग 20 किलोमीटर तक अच्छी स्थिति में है और राहगीरों को इस दूरी को तय करने में बहुत परेशानी नहीं होती है। ये कुशीनगर जिला मुख्यालय और कसया तहसील मुख्यालय को भी जोड़ता है। इस सड़क पर चल कर आपको सीएम योगी के वादे पूरे होते दिखते हैं। लेकिन इस सड़क पर कुछ किलोमीटर चलने पर ही तस्वीर बदरंग होने लगती है। पडरौना से 5-6 किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद इस सड़क पर लगे पैच नजर आने लग जाते हैं।

कुशीनगर जिले के पडरौना तहसील से खड्डा तहसील मुख्यालय के बीच लगभग 40 किलोमीटर तक इस सड़क की हालत बेहद जर्जर है। पूरी सड़क गड्ढों से भरी पड़ी है जिनपर सड़कों को गड्ढामुक्त किए जाने के टारगेट को पाने के लिए किसी तरह से पैचवर्क कर भर दिया गया है। पिपरा बाजार और नौरंगिया के बीच लगभग 5 किलोमीटर तक पहले इस सड़क का पता ही नहीं था क्योंकि सड़क इतनी ख़राब हो गई थी कि सड़क कम और गड्ढे ज्यादा दिखाई देते थे लेकिन अब इन जगहों पर नए सिरे से सड़क निर्माण कर दिया गया है और बाकी जगहों पर पैचवर्क कर सड़क को चलने लायक कर दिया गया है।

अब आपको कुशीनगर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 ले चलते हैं। इस सड़क पर आकर एनएच-28 B का तनाव कम हो जाता है। सड़कों पर फर्राटा भर रही गाड़ियां बता रही थी कि इस सड़क पर सब कुछ अच्छा है। एनएन-28 उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होते हुए बिहार के अंतिम छोर तक जाती है। ये कुशीनगर के सुकरौली बाजार से शुरू होकर कुशीनगर में लगभग 70 किलो मीटर की दूरी तय करती है। इसी सड़क से जनपद की ज्यादातर सड़कें जुड़ती हैं और लम्बी दूरी की यात्रा के लिए सबसे महत्वपूर्ण सड़क है। ये सड़क लगभग 10 साल पहले ही चार लेन की हाईवे के रूप में बनकर तैयार हो गई थी और राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण समय समय पर इसकी मरम्मत भी करता रहता है।

एनएच-28 से उतर कर जब आप कुशीनगर के राजमार्ग संख्या 370 पर पहुंचेगें तो आपकी सारी खुशी काफूर हो जाएगी। जनपद की सबसे ख़राब सड़क की बात की जाए तो नौरंगिया बाजार से कप्तानगंज तहसील को जोड़ने वाली ये राजमार्ग संख्या 370 है। नौरंगिया से कप्तानगंज की 24 किलोमीटर की दूरी तक इस सड़क की हालत ऐसी है कि इस दूरी को तय करने में लगभग 2 घंटे का वक्त लग जाता है। पूरी सड़क बड़े बड़े गड्डों से अटी पड़ी है। बारिश हो जाने पर सड़क पर चारो तरफ पानी भर जाता है और पानी के नीचे छुपे जानलेवा गड्ढे हादसों को दावत देती है। अक्सर इस सड़क पर लोगों की गाड़ियां ख़राब हो जाती हैं। पिछले 5 सालों में इस सड़क पर लगभग 100 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं और कई लोगों की जान भी जा चुकी है।

सरकार के गड्ढामुक्त सड़कों के दावों को सड़कों पर ढूंढते हुए हम एनएच-58 E पर पहुंचे। कसया तहसील से तमकुही तहसील को जोड़ने वाली राजमार्ग संख्या- 58 E की बात करें तो ये सड़क भी जनपद की महत्वपूर्ण सड़कों में से एक है। इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए समाजवादी पार्टी की सरकार में ही बजट स्वीकृत किया गया था और 35 किलोमीटर लम्बी ये सड़क आधा बनकर तैयार भी है लेकिन ज्यादातर बाजारों में इस सड़क का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है।

कसया नगर में इस सड़क की हालत बद से बद्तर है। कसया में सपहा रोड पर लगभग 2 किलोमीटर तक सड़क गड्ढों से अटी पड़ी है। सड़क में इस कदर गड्डे हैं कि गाड़ी चलाने वालों को समझ में नहीं आता कि वो कहां से निकले। काश सूबे की सड़कों को गड्ढामुक्त घोषित करने से पहले सीएम साहब इस सड़क को भी देख लेते तो शायद मीडिया के सामने इतने बड़े-बड़े दावे नहीं करते। इस सड़क की दर्दशा का हाल ये है कि जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से इस सड़क पर हमेशा पानी भरा रहता है। हालत तो तब और ख़राब हो जाती है जब बारिश हो जाती। बारिश होते ही सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है और लोगों को पानी के नीचे छुपे गड्ढे नहीं दिखने की वजह से हादसों का शिकार होना पड़ता है।

तमकुही से तरया जाने वाली रोड भी कुशीनगर में सड़कों की दुर्दशा बयां कर रही है।पूरी सड़क उखड़ी हुई है। ऐसे हालात में कोई कैसे सरकार के दावे पर ऐतबार कर ले, जो कह रही है कि सूबे में सभी सड़कों के जख्म भर दिए गए है।

सरकारी दस्तावेजों में भले ही सूबे की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त कर सरकार अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन सरकार की नाकामियों का जनता खामियाजा भुगत रही है। कुशीनगर की ज्यादातर सड़कें सरकार के दावों की पुष्टि नहीं करती। ऐसे में जरुरी है कि सरकार हवा-हवाई दावों को छोड़कर हकीकीत की तस्वीर को देखे और उसके मुताबित काम करे।क्योंकि ये जो जनता है, सब जानती है और जब हिसाब-किताब करने पर उतरती है तो तख्त और ताज, सब बदल जाते हैं

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