कई सालों से चला आ रहा अयोध्या विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं अब शिया वक्फ बोर्ड भी अपनी दावेदारी पेश कर रहा है। शिया वक्फ बोर्ड चाहता है कि मुस्लिमों को हिंदुओं का दिल रखने के लिए राम मंदिर वहीं बनवाने में मदद करना चाहिए। लेकिन सुन्नी वक्फ बोर्ड इसके सख्त खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद के सुनवाई के दौरान शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद इस्लाम हिस्सा नहीं है। उसने कहा कि देश में शांति, सुरक्षा और एकता के लिए शिया समुदाय ने मस्जिद का मसला नहीं उठाया। शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विवाद को सुलझाना चाहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा, ‘शिया वक्फ बोर्ड का इस मामले में बोलने का हक नहीं है। राजीव धवन ने आगे कहा, जैसे तालिबान ने बामियान को नष्ट कर दिया था। ठीक उसी तरह हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद को नष्ट कर दिया।’ ऐसे में शिया वक्फ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड आमने-सामने आ गए हैं। शिया बोर्ड ने साफ कहा कि बाबरी मस्जिद का संरक्षक एक शिया था और इसलिए सुन्नी वक्फ बोर्ड या कोई और भारत में मुसलमानों के प्रतिनिधि नहीं हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

शिया वक्फ बोर्ड वकील ने कहा कि मुसलमानों के हिस्से में आई एक तिहाई जमीन पर उनका हक है क्योंकि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। मीर बाकी शिया मुसलमान था। इसलिए सुन्नी मुसलमानों से उक्त मस्जिद का कोई संबंध नहीं है। बोर्ड ने कहा कि इलाहबाद हाई कोर्ट द्वारा मुसलमानों की दी गई एक तिहाई जमीन को राम मंदिर बनाने के लिए दान किया जाएगा। हम इस मामले को शांति के साथ सुलझाना चाहते हैं।

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