गंगा और यमुना का प्रदूषण स्तर पहले से बढ़ा हुआ है और अब हिमाचल की झील का भी हाल बुरा हो चुका है। हिमाचल के मंडी जिला में स्थित रिवालसर में झील का पानी हरे रंग से पीले रंग में बदल रहा है जिसे देखकर लोग हैरान हैं। झील का पानी इस हद तक खराब हो चुका है कि मछलियां मर कर किनारे पर आ रही हैं।

Revenge color of the lake of Himachalबता दें कि हिमाचल की मंडी का पानी इतना गंदा है कि मछलियां ऑक्सीजन लेने के लिए तट पर आ गई हैं। बुधवार सुबह झील के किनारे का नजारा देख कर लोग सकते में आ गए, क्योंकि झील में रहस्यमय ढंग से हजारों मछलियों की मौत हो गई थी। स्थानीय लोग मछलियों को बचाने के लिए आगे आए लेकिन साफ पानी न मिलने की वजह से मछलियों को समय रहते नहीं बचाया जा सका। 

इस घटना के बाद हिंदू, बौद्ध, सिख तीनों धर्मों के श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया है। लोगों का कहना है कि यहां इन मछलियों को खाना खिलाकर पुण्य कमाया जाता है। बता दें कि कुछ दिनों पहले बैसाखी पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया था और मछलियों को आटा व अन्य खाद्य सामग्री डाली थी। इस कारण झील में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ गया था। झील के प्रदूषण को ठीक करने के लिये ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक साल पहले सरकार को आदेश दिये थे। लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि झील का ऐसा रंग भारी बारिश में भी नहीं हुआ। नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष बंशी राम ठाकुर कहना है कि ‘झील किनारे बने कुछ मकानों के सेप्टिक टैंकों से हो रहा रिसाव व बाहरी गाद सहित गंदे पानी के झील में आने से ये हालत हुई है।‘ खैर आनन फानन में इस पानी का सैम्पल ले लिया गया है और आज बुलाई गई बैठक में सरकार की ओर से इस पर विचार विमर्श किया जाएगा।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी बैसाखी के मौके पर यह गंदगी फैली थी लेकिन तब ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। प्रदूषण को लेकर कई बार सरकार को आगाह किया गया था लेकिन तब भी कोई फैसला नहीं लिया गया था। अगर यह फैसला समय रहते लिया गया होता तो शायद आज इतनी भारी संख्या में मछलियाँ न मरी होतीं। अब देखना यह है कि इस हादसा के बाद सरकार क्या कदम उठाती है।

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