Ram Manohar Lohia Jayanti: यहां जानिए आखिर क्यों लोहिया ने कभी नहीं मनाया अपना जन्मदिन, किसको देख जागी थी देशभक्ति की भावना?

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Ram Manohar Lohia
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Ram Manohar Lohia Jayanti: 23 मार्च को देश के एक महान समाजवादी चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया की जयंती है। इन्होंने आजादी से पहले ही देश की राजनीति में बदलाव की आंधी-सी ला दी थी। इनका जन्म 23 मार्च, 1910 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था। देश की राजनीति में ऐसे कई परीवर्तन हुए जिसमें इनका काफी बड़ा योगदान था।

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पिता से मिली थी देशप्रेम की भावना

Ram Manohar Lohia ने बचपन से ही देश में बदलाव करने की ठान ली थी। इनके अंदर देशप्रेम की ये चाहत अपने पिताजी से आई थी। दरअसल, इनके पिता पेशे से एक अध्यापक थे और एक सच्चे देशभक्त भी थे। इनके पिता जी महात्मी गांधी के अनुयायी थे। अपने देशप्रेम और तेज से उन्होंने सभी के मन में अपनी अलग छाप छोड़ रखी थी। इनके सहयोगियों के साथ-साथ इनके दुश्मन भी इनका सम्मान किया करते थे। इनका निधन 1967 में दिल्ली में हुआ था।

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Ram Manohar Lohia हमेशा से 23 मार्च को देना चाहते थे बलिदान दिवस का नाम

23 मार्च को हर साल शहीद- ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सम्मान देने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है। इसी दिन इनको फांसी दी गई थी, जिसके कारण लोहिया ने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया था। साथ ही इन्होंने शुरू से ही अपने सभी सहयोगियों को भी यह बोला हुआ था कि कोई इनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में समारोह या कार्यक्रम नहीं करेगा। वो हर हाल में इस दिन को बलिदान दिवस या शहीद दिवस घोषित कराना चाहते थे।

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स्वतंत्र देश की राजनीति पर डाला था गहरा प्रभाव

देश की राजनीति पर कुछ ही लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर पड़ा है, उनमें Ram Manohar Lohia और Jai Prakash Narayan प्रमुख रहे हैं। उनके आह्वान पर 1956 में बनारस में दलितों के मंदिर में प्रवेश को लेकर चला आंदोलन, बनारस में आंदोलनों के इतिहास में मील का पत्थर बन गया था।

इन्होंने 3 अक्टूबर, 1963 को हैदराबाद में हिंदू और मुसलमान के बारे में कहा था, ‘हिन्दू और मुसलमान हैदराबाद में करीब-करीब बराबर हैं। हिन्दू-मुसलमान और हिन्दुस्तान-पाकिस्तान, इन दो सवालों को लेकर दिमाग में सुधर पाये, तो गजब हो सकता है।

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बच्चों को देते थे भाईचारे की सीख

Ram Manohar Lohia ने हमेशा से कहा है कि बच्चों में हिंदू और मुस्लिम की भावना नहीं डालनी चाहिए। सभी हिंदू बच्चों को हमेशा सिखाओ की मुस्लिम उनके पूर्वज हैं और मुस्लिम बच्चों को बताओ कि हिन्दू उनके पूर्वज हैं। इससे धर्म की दीवार मिटेगी तो नहीं लेकिन कमजोर जरूर हो सकती है।

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