बीते आठ महीनों से तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और यूपी गेट पर किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। साथ ही दिल्ली के जंतर मंतर पर भी कृषि कानूनों के विरोध को लेकर किसान संसद लगा कर बैठे हैं। इस दौरान शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कृषि कानूनों के विरोधी में 28 नवंबर से यूपी गेट पर चल रहा धरना स्थल पर आने के कार्यक्रम का आयोजन था।

उसी दौरान सुबह से लेकर शाम तक भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने कार्यकर्ताओं के साथ यूपी गेट पर ममता बनर्जी का इंतजार करते रहे, लेकिन ममता अपना दिल्ली दौरा खत्म करने के बाद पश्चिम बंगाल रवाना हो गई।

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BKU के नेता राकेश टिकैत ने ममता बनर्जी के यूपी गेट नहीं आने पर गजब का बयान लोगों को दिया है। टिकैत का कहना है कि ममता बनर्जी के यहां आने की सूचना उन्हें मीडिया वालों ने दिया था। उन्होंने उन्हें यहां आने का न्योता नहीं भेजा था। और न ही उनकी कोई बात हुई थी। वैसे राकेश टिकैत की यह सफाई किसी को सच नही लग रही है। बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी यूपी गेट पर किसानों से मिलने की इच्छुक नहीं थी और न ही उन्होंने ऐसा कोई कार्यक्रम पहले से रखा था।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आने पर शुक्रवार को दिनभर पुलिस-प्रशासन सतर्क रहा। लेकिन वह यहां पर नहीं आई। यूपी गेट पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अगुवाई में धरना प्रदर्शन चल रहा था। विधान सभा चुनाव के दौरान उन्होंने बंगाल में जाकर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रचार भी किया था। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली आई थीं। और कहा जा रहा था कि, वह यहां आकर राकेश टिकैत से मुलाकात करेंगी। मगर ममता बनर्जी यहां नहीं आई। बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी के आने की खबर से किसान प्रदर्शन उत्साहित थे, लेकिन शाम को न आने की जानकारी मिली तो वे निराश हो गए थे।

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जून महीने के दूसरे सप्ताह में राकेश टिकैत ने कोलकाता जाकर सचिवालय में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। इस दौरान राकेश टिकैत ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों और किसानों के एतराज का मुद्दा खड़ा किया था। इससे भी पहले राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में सभाएं की थी। इसके साथ टीएमसी की जीत पर ममता को बधाई भी दिया था।

ममता से मुलाकात के बाद टिकैत ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि वह किसान आंदोलन का समर्थन करना जारी रखेंगी। इस आश्वासन के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं। पश्चिम बंगाल को आदर्श राज्य के रूप में काम करना चाहिए और किसानों को अधिक लाभ प्रदान करना चाहिए। राकेश टिकैत तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन करा रहे है। इसके साथ ही कई राज्यों का लगातार दौरा कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में दावा किया है कि भाजपा का जो हाल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हुआ वहीं हाल आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में भी होने वाला है। हम आपको बता दें कि अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है।

उधर, तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का मानना है कि इन कानूनों से खेतीबाड़ी का बाजारीकरण हो जाएगा और छोटे किसानों को बड़ी खुदरा कंपनियों के शोषण से पर्याप्त सुरक्षा भी नहीं मिलेगी। जंतर-मंतर पर कृषि कानून को लेकर विरोधी कर रहे आंदोलकारियों का प्रदर्शन सातवें दिन भी हुआ।

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200 प्रदर्शनकारी सुबह करीब 11 बजे जंतर-मंतर पहुंचे और शाम पांच बजे फिर से बसों के माध्यम से सिंघु बॉर्डर के रवाना हो गए। प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद की तरह कार्रवाई चलाते हुए विद्युत संशोधन कानून 2020 पर चर्चा की। साथ ही इसे वापस लेने की मांग भरी। चर्चा में कृपा सिंह, बलबीर सिंह, हरजीत सिंह, बलराज सिंह, बिचित्रा सिंह कोटला व ऋषिराज पटेल चेयरमैन व डिप्टी चेयरमैन बनाए गए थे।

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