किसान आंदोलन को एक महीना होने वाला है। पंजाब, हरियाणा के किसान नए कृषि कानून के खिलाफ सरकार के दर तक पहुंच गए हैं। इंतजार है तो सिर्फ दरवाजा खुलने का। आंदोलनकारी कृषि कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनकी मांगों से खौफ सरकार पांच दफा वार्ता भी कर चुकी है। हर बार फेल हुई। सरकार की तरफ से किसानों को लगातार वार्ता के लिए पत्र भेजे जा रहे हैं।

लेकिन अब तो अन्नदाता जिद्द पर अड़ गए हैं। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सुझाव दिया है। उन्होंने कहा,  ”धरने पर बैठे लोग किसान हैं और किसान परिवारों में जन्मे हैं। हम उनके प्रति बहुत सम्मान रखते हैं।’

राष्ट्रीय राजधानी के द्वारका में एक रैली को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि वह स्वयं किसान के बेटे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि मोदी सरकार ‘कभी ऐसा कुछ नहीं करेगी जो किसानों के हित में नहीं हो।’

किसानों से नए कृषि कानूनों को ट्रायल के तौर पर लेने का अनुरोध करते हुए पूर्व भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अगर ये कानून लाभकारी नहीं लगते तो सरकार सभी जरूरी संशोधन इनमें लाएगी। सिंह ने कहा, ”अभी एक या दो साल के लिए कृषि कानूनों को लागू करने दिया जाए। इसे प्रयोग के तौर पर देखते हैं और यदि ये किसानों के लिए लाभकारी नहीं लगते तो सरकार हरसंभव संशोधन को तैयार रहेगी।”

अपने सुझाव को खत्म करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, हर मसले का हल बातचीत के जरिए निकल जाता है। हम किसान भाईयों से बात करने का प्रयास कर रहे हैं। आंदोलनकारी बातचीत करने के लिए आगे भी आए हैं।

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