भारत में किसान पिछले 85 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन की चर्चा देश-विदेश में हो रही है। लंबे समय से चल रहे आंदोलन को खत्म करने की हर संभव कोशिश भारत सरकार कर रही है। मसले को हल करने के लिए सरकार के साथ 9 दौर की वार्ता भी हो चुकी है। पर किसानों का एक ही नारा है, बिल वापस ही घर वापसी का हल है। इस आंदोलन को आग देने के लिए किसानों ने देशभर में 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की घोषणा की है। आज 12 बचे से शाम 4 बजे तक किसान रेल रोको अभियान में हिंसा लेंगे।

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किसानों के इस आंदोन को देखते हुए रेलवे ने कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है। खबर के अनुसार रेल रोको आंदोलन का असर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दिखने वाला है। आंदोलन को ध्यान में रखते हुए देशभर में रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स (RPSF) की 20 एक्स्ट्रा कंपनियां यानी करीब 20 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए हैं।

इनमें से ज्यादातर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तैनात किया गया है। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के DG अरुण कुमार ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें और ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी नहीं हो।

गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के उत्पात से सीख लेते हुए सरकार ने आंदोलन को संभालने के लिए पूरी तैयारी कर ली हैै। खबर है कि, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बंगाल में आंदोलन उग्र हो सकता है इसलिए इन राज्यों में सबसे अधिक पुलिस बल तैनात है।

किसानों का रेल रोको आंदोलन जमीन के साथ सोशल मीडिया पर दिख रहा है। लोग सोशल मीडिया पर #रेल_रोको_18_को अभियान चला रहे हैं। इससे पहले 17 फरवरी को लोग #किसान_अब_रेल_रोको का अभियान चला रहे थे। किसानों का मुद्दा ट्विटर पर टॉप ट्रेंड कर रहा था।

बता दें कि, किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने एक बार फिर कहा है कि उनका संगठन किसानों के हितों के लिए लड़ रहा है और नए कृषि कानूनों की वापसी तक वे अपने घरों को नहीं लौटेंगे। चंढूनी ने कहा कि देशभर में पंचायत और महापंचायत जैसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों को बताया जाएगा कि केंद्र सरकार आम लोगों की नहीं बल्कि कॉरपोरेट्स की है।

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