भारत में चल रहा लंबे समय से किसानों का आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। इसक तस्वीर राज्य में होने वाले छोटे-मोटे चुनाव में झलक रही है। अभी हाल ही में पंजाब में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस की छाप दिखी। राज्य में अकाली दल और कांग्रेस का ही बोलबाला रहा। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के हाथ खाली हैं।

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। कहा जा रहा था कि, निकाय चुनाव बीजेपी के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं साबित होने वाला है। यहां पर पार्टी अग्नि परीक्षा में फेल हो गई।

दरअसल, पंजाब में 14 फरवरी को 117 स्थानीय निकायों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से 109 नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत हैं, वहीं, 8 नगर निगम शामिल हैं। आठ नगर निगम अबोहर, बठिंडा, बाटला, कपूरथला, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट और मोगा और 109 मगर पालिका परिषदों के 2252 वार्ड्स का रिजल्ट आज शाम तक स्पष्ट हो गया। चुनाव की गिनती सुबह 8 बजे से चल रही थी। इसमें कांग्रेस जीत गई है।

कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सबसे अहम बठिंडा सीट थी जिसे वो 53 सालों से पाने की कोशिश कर रही थी। बठिंडा नगर निगम कांग्रेस के खाते में 53 साल बाद आई है। बठिंडा लोकसभा का प्रतिनिधित्व शिरोमणी अकाली दल की हरसिमरत बादल करती हैं। राज्य में केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद उन्होंने खुद को सरकार से अलग कर लिया था।

शुरुआती नतीजों में कांग्रेस कमाल करती दिख रही थी और शाम होते-होते बीजेपी को साफ कर कांग्रेस ने पंजे का दम दिखा दिया। कांग्रेस ने यहां पर 109 नगर निकाय-नगर पंचायत और सात नगर निगम के लिए हुए मतदान हुआ था जिसमें से कांग्रेस ने सात नगर निगम में जीत हासिल की है। वहीं 109 नगर परिषदों में 63 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। अकाली दल आठ और आम आदमी पार्टी दो सीटों पर जीती है।

कांग्रेस की बड़ी जीते के बाद उर्मिला मातोंडकर ने पार्टी को बधाई दी हैं। उर्मीला ने बीजेपी की इस हार को किसान आंदोलन से जोड़ा है।

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