दिवाली दीपों का त्यौहार होता है, पटाखों का नहीं। भविष्य में और दीप जल सकें इसलिए न्यायालयों ने पटाखों पर बैन लगाना शुरू कर दिया है। वायु प्रदुषण को देखते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया। यहां तक की दुकानदारों को भी पटाखे बेचने से मना कर दिया गया है। इसी को देखते हुए अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अख्तियार किया है। हालांकि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है लेकिन पटाखा फोड़ने की समयसीमा जरूर तय कर दी है। कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय शाम साढ़े 6 बजे से रात साढ़े नौ बजे तक निर्धारित किया है।

इस आदेश के बाद दुकानदारों ने थोड़ी राहत महसूस की है कि कम से कम पटाखों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध नहीं लगा है। कोर्ट ने पटाखे बेचने के लिए लाइसेंस लकी ड्रॉ के जरिए देने को कहा है। इसके लिए शुक्रवार को ही लकी ड्रॉ निकाला जाएगा जिसकी विडियोग्रफी भी होगी। वहीं पिछले साल जारी किए गए लाइसेंसों की तुलना में इस बार 20 फीसदी ही लाइसेंस दिए जाएंगे। 
बता दें कि इस बैन के खिलाफ कई व्यापारी नाखुश हैं। उनका कहना है कि कोर्ट को ये आदेश पहले देना चाहिए था। व्यापारियों के मुताबिक उन्होंने पटाखों में काफी निवेश कर दिया है। ऐसे में पटाखा बैन के बाद उनको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ चेतन भगत और त्रिपुरा के राज्यपाल सहित कई दिग्गजों ने इसे लेकर नाखुशी जाहिक की है। उनका मानना है कि आखिर हिंदूओं के इस प्रमुख त्यौहार में लोगों को पटाखों से वंचित करना क्या उचित होगा।

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