मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोगों से जीवन में अपनी कमाई का एक चौथाई हिस्सा कला एवं संस्कृति पर खर्च करने का आह्वान करते हुए कहा है कि किताबों में एक खुशबू होती है और टीवी अख़बार के बावजूद पढ़ने की चाहत ख़त्म नहीं हुई है और किताबों से न केवल विचार मिलते हैं बल्कि इससे जीवन समृद्ध होता है। जावड़ेकर ने आज यहाँ 27वें विश्व पुस्तक मेला का उद्घाटन किया। मेले में 20 से अधिक देश भाग ले रहे हैं और 650 प्रकाशकों के 1350 स्टाल लगाये गए हैं। मेले की थीम दिव्यागजनों की पठन आवश्यकताएं हैं और शारजाह को अतिथि बनाया गया है।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि किताबों की दुनिया ही अलग है। उसमें खुशबू होती है और उसे पढ़ने में आनंद आता है, पढ़ने से जीवन समृद्ध होता है, उस से नया आयाम मिलता है और नये विचार भी मिलते हैं। शुरू में ऐसा लगा कि टीवी आने के बाद लोग किताबों को भूल जायेंगे लेकिन लोग उसे नही भूले। किताबों की मांग बढ़ती रही। किन्दले के बाद ऑडियो बुक्स भी आये लेकिन किताबें पढ़ने की चाहत ख़त्म नहीं हुई। हम किताबों के बिना रह नहीं सकते। देश में किताबों की संस्कृति बढ़ती जा रही है।

उन्होंने कहा कि अगर हम सौ रुपये कमाते हैं तो 25 रुपये खाने पीने में, 25 रुपये रहने आदि के लिए खर्च करते हैं, लेकिन हमें अपने जीवन में 25 रूपये कला संस्कृति पर भी खर्च करना चाहिए। किताबों से कल्पना विचार मिलते है और आनंद मिलता है तथा इससे जीवन समृद्ध होता है। जीवन की समृद्धि केवल पैसे से नहीं आती बल्कि किताबों से आती है। उन्होंने कहा कि देश में पढ़ने की संस्कृति से विचारों का भी आदान प्रदान बढ़ेगा और हम दूसरे विचारों का भी सम्मान करेंगे। जावड़ेकर ने आशा व्यक्त की कि प्रगति मैदान में नव निर्माण कार्य चलने के कारण होने वाली असुविधाओं के बावजूद अधिक संख्या में पुस्तक प्रेमी आयेंगे और पिछले साल का रिकार्ड टूट जायेगा।

Book Fair

इस अवसर पर उन्होंने शारजाह के शाह सुल्तान बिन मुहम्मद अल कासिमी की पुस्तक बीबी फातिमा और बादशाह के बेटे का हिन्दी तथा अंग्रेज़ी पुस्तकों के संस्करण का लोकार्पण किया। इसके अतिरिक्त ब्रेल लिपि में 250 किताबों की सूची का कैटलॉग तथा कैलेंडर  भी जारी किया। उन्होंने मुख्य अतिथि शारजाह के राजकीय विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष शेख फहीम बिन सुलतान अल कासिमी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पुस्तक एग्जाम वॉरियर की प्रति भेंट की। समारोह को कासिमी ने भी संबोधित करते हुए आशा व्यक्त की कि ऐसे मेलों से शारजाह और भारत के देश मज़बूत होंगे। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि न्यास अब लोक भाषाओं में भी पुस्तकें प्रकाशित कर रहा है और उसने मगही, भोजपुरी तथा गोंड भाषा एवं त्रिपुरा की जनजातीय भाषाओं में भी किताबें प्रकाशित की हैं।

धन्यवाद ज्ञापन निदेशक रीता चौधरी ने किया। समारोह में शारजाह पुस्तक प्राधिकरण के अध्यक्ष अहमद बिन रक्कड़ अल अमेरी, शारजाह के लेखक हबीब योसेफ अब्दुल्लाह अल सईद तथा अखिल भारतीय दृष्टिहीन महासंघ के महासचिव जे. एल. कॉल एवं  उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमनियन भी मौजूद थे।

साभार, ईएनसी टाईम्स

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