आजकल देश में चुनावी माहौल और सियासी गर्मी कुछ ज्यादा ही तेज है। गोवा और पंजाब में चुनाव संपन्न होने को बाद अब बारी उत्तर प्रदेश में होने में पहले चरण के चुनाव की है। 11 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव होने है इसलिए इनदिनों इस क्षेत्र में रैलियों का तांता लगा हुआ है। हर पार्टी के बड़े-बड़े नेता अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इस चुनावी खेल में नेता अपनी जीत के लिए एक तरफ तो जनता से वादे करते हैं, जनता को लुभावने सपने दिखाते है, तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों और उनके नेताओं पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते है।

बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र जारी करने के बाद प्रधानमंत्री ने भी चुनावी अभियान शुरु कर दिया है। पीएम मोदी ने रैली के लिए सबसे पहले मेरठ को चुना क्योंकि मेरठ में 11 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं। मोदी ने रैली को संबोधित करते हुए यूपी के हरेक पार्टी को निशाने पर लिया जिसमें सबसे ज्यादा निशाना कांग्रेस और सपा पर साधा था। प्रधानमंत्री मोदी विपक्षी पार्टियों पर चुटकी लेते हुए उनकी तुलना अंग्रेजी के स्कैम वर्ड से कर दी, जिसका हिंदी अर्थ घोटाला होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने SCAM शब्द का फूलफार्म बनाया और कहा एस से समाजवादी, सी से कांग्रेस, ए से अखिलेश, एम से मायावती। इस फुलफार्म को बताते हुए मोदी ने जनता से पूछा कि आपको उत्तर प्रदेश में स्कैम चाहिए या भाजपा। मोदी ने कहा कि जो लोग 10 दिन पहले एक-दूसरे पर आरोप लगाते फिरते थे वे लोग आज सत्ता में आने के लिए गले मिल रहे हैं। ऐसे अवसरवादी गठबंधन जनता का कैसे और क्या भला करेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने बहुत सारे गठबंधन देखे हैं पर ऐसा अवसरवादी गठबंधन नहीं देखा। हालांकि पिछले साल बिहार में भी भाजपा के विरुद्ध  लालू-नीतीश का महागठबंधन हुआ था जिसमें बीजेपी को करारी शिक्सत मिली थी।

भाजपा का प्रचार करते हुए मोदी ने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया और सपा को सबसे ज्यादा निशाने पर लिया। हालांकि उनके स्कैम के फार्मूले में मायावती का भी नाम था लेकिन मोदी ने अपनी रैली में मायावती और बसपा पर कोई ख़ास टिप्पणी नहीं की। ऐसे में जनता के मन में सवाल उठने लगे हैं कि क्या चुनाव के बाद यूपी में एक और अवसरवादी महागठबंधन देखने को मिलेगा…?

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