प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की नई इमारत ‘धरोहर भवन’ के उद्घाटन के मौके पर पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए जनभागीदारी को महत्त्वपूर्ण बताते हुए आज कहा कि हमें अपनी विरासत के बारे में जानकारी और उस पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ देशों में सेवानिवृत्त लोग धरोहरों के संरक्षण में योगदान देते हैं। हमारे देश में अभी यह सोच विकसित नहीं हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा “दुनिया में इस क्षेत्र में जन सहयोग, जन भागीदारी बहुत मिलती है। वहाँ सेवानिवृत्त लोग गाइड का काम करते हैं। वे अपनी धरोहरों के बारे में पर्यटकों को बताते हैं। हमारे देश में यह मानसिकता बनानी है। उन्होंने कहा कि समाज जिस प्रकार धरोहरों का संरक्षण कर सकता है किसी संस्था के कर्मचारी नहीं कर सकते। उन्होंने इसमें कॉर्पोरेट दुनिया को साझेदार बनाने की सलाह देते हुए कहा कि स्थानीय कंपनियों से बात करनी चाहिये कि क्या उनके कर्मचारी महीने में 10-15 घंटे इस दिशा में दे सकते हैं।

पीएम मोदी ने धरोहरों के संरक्षण के बारे में जानकारी को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बच्चों को उनके पाठ्यक्रम में उनके शहर का इतिहास बताया जाए। स्थानीय स्तर पर टूरिस्ट गाइड का सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा सकता है। जिससे गाइड को उसके शहर की धरोहरों के बारे में एक-एक जानकारी होना सुनिश्चित किया जा सके। जब जानकारी होती है तो अपनेपन की ताक़त बढ़ जाती है। हमें हमारे धरोहर की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। अपनी विरासत पर गर्व के लिए प्रेरित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा “हम कुछ चीजों के इतने आदि हो जाते हैं कि उसका महत्त्व नहीं समझते। इस विलगाव ने हमारा काफी नुकसान किया है। आजादी के बाद भी एक ऐसी सोच ने हमें जकड़ कर रखा है जो पुरातन के गर्व को बुरा मानता है। जब तक हमें इस पुरानी धरोहर पर गर्व नही होगा, तब तक उसे संजोने का मन ही नहीं करता।

पुरातत्त्वविदों के काम की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि विज्ञान की तरह ही वह भी बदलाव के वाहक होते हैं। वह सालों किसी जंगल, किसी पहाड़ पर चुपचाप अपना काम करते रहते हैं और जब उसका परिणाम दुनिया के सामने आता है तब लोगों को उसकी जानकारी होती है। उन्होंने कहा कि पुरानी शिलायें, पुराने पत्थर यह निर्जीव दुनिया नहीं है। यहाँ का हर पत्थर बोलता है, पुरातत्व से जुड़ी हर काग़ज़ की एक कहानी होती है। पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने वाला व्यक्ति एक बहुत बड़ा बदलाव देता है, इतिहास को चुनौती देने का सामर्थ्य भी उस पत्थर से पैदा हो जाता है।

पीएम मोदी प्रगति मैदान और आईटीओ के बीच स्थित ‘धरोहर भवन’ के उद्घाटन के बाद करीब 157 साल पुराने एएसआई के इस नये मुख्यालय का दौरा किया जो 2.58 एकड़ में फैला है। संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, संस्कृति सचिव राघवेंद्र सिंह और एएसआई की महानिदेशक ऊषा शर्मा ने इमारत के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी दी। इसकी चार मंजिला इमारत में 1.32 लाख वर्ग फुट जगह है। श्री मोदी केंद्रीय पुरातात्त्विक पुस्तकालय भी गये जिसकी स्थापना वर्ष 1902 में की गयी थी। उन्होंने पुस्तकालय की आगंतुक पुस्तिका में अपने विचार लिखे।

संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने बताया कि मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल में नौ स्मारकों को विश्व धरोहर की मान्यता मिल चुकी है। इस मामले में भारत पाँचवें स्थान पर पहुँच चुका है। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि एएसआई म्यामांर, अफगानिस्तान और कंबोडिया की धरोहरों के संरक्षण में भी अपनी सेवाएँ दे रहा है

शर्मा ने बताया कि नोटबंदी के समय 116 धरोहर स्थलों के लिए ई-टिकटिंग की सुविधा शुरू की गयी थी। डेढ़ साल में ई-टिकटिंग 10 गुणा हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से पुरातात्विक स्थलों की डिजिटल मैपिंग की गयी है जिससे अब इनके आसपास निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र छह दिन में मिल जाता है। पहले इसमें तीन से छह महीने का समय मिलता था।

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